हस्तरेखा शास्त्र का वैज्ञानिक विवेचन हिन्दी पुस्तक | Hastrekha Shastra ka Vaigyanik Vivechan Hindi Book PDF

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हस्तरेखा शास्त्र का वैज्ञानिक विवेचन हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Hastrekha Shastra ka Vaigyanik Vivechan Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : हस्तरेखा शास्त्र का वैज्ञानिक विवेचन | यह पुस्तक अंग्रेजी के दी लॉज़ ऑफ़ साइंटिफिक हैंड रीडिंग का हिन्दी अनुवाद है. इस पुस्तक के लेखक हैं : विलियम जी. बैनहम. इस पुस्तक के भाषान्तरकार हैं: आचार्य वादरायण. इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : डायनामिक पब्लिकेशन्स (इंडिया) लिमिटेड, मेरठ. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 42 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 602 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Hastrekha Shastra ka Vaigyanik Vivechan | This book is Hindi translation of the English book "The laws of Scientific Hand Reading" by William G. Benham. Translator of the book is : Acharya Badrayan. This book is published by : Dynamic Publications (India) Limited, Merath. Approximate size of the PDF file of this book is: 42 MB. This book has a total of 602 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
विलियम जी. बैनहमधर्म, ज्योतिष42 MB602


पुस्तक से :

मानव-हाथ के समान उपयोगी और विविधतापूर्ण दूसरा कोई यन्त्र-तन्त्र अथवा उपकरण आज तक नहीं बना। यह मानव हाथ अनन्त आवश्यकताओंकी पूर्ति करने में तथा उच्चतम स्तर पर अपने को ढालनेमें पूर्ण समर्थ है। सत्य तो यह है कि मानव मस्तिष्क प्रयन्त करने पर भी ऐसा सर्वथा निर्दोष यन्त्र कभी बना नहीं सकता। मनुष्यका हाथ मनुष्य की भावी जीवन-उत्थान पतन, विकास हास तथा उन्नति अवनति को दर्शाने वाला एक ऐसा सजीव दर्पण है, जिसकी तुलना विश्व का कोई भी मानव निर्मित उपकरण नहीं कर सकता।

 

यदि हम अपनी सन्तानों की हस्तरेखाओं का अध्ययन करके उन्हें व्यवसाय चुनने के लिए उपयुक्त मार्गदर्शन करेंगे तो निश्चित है कि उन्हें असफलताका मुंह कभी नहीं देखना पड़ेगा। इसी प्रकार यदि हम आपसमें स्वभाव न मिलने वाले लड़के-लड़कियों को विवाह सूत्र में न बंधने का परामर्श देंगे, तो तलाक तथा विवाहित जीवनमें कलह के लिए कोई स्थान ही नहीं रहेगा। आवश्यकता केवल इस बात की है कि हमारा अध्ययन सही और परिपक्व होना चाहिए।

 


हस्तरेखा विज्ञान का आधार हाथ की बनावट है। हाथ पर उभरे हुए चिह्नों का नाम पर्वत हैं, जिनकी संख्या सात है और जो अंगुलियोंके मूल में तथा हाथों के किनारों पर अवस्थित हैं। इन उभारों (पर्वतों के विभिन्न रूपों, स्थितियों और संयोजनों की जानकारी के आधार पर ही सम्बद्ध व्यक्ति के चरित्र का सही ज्ञान रखने का दावा किया जा सकता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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