कल्याण बालक अंक - गीता प्रेस हिन्दी पुस्तक | Kalyan Balak Anka - Gita Press Hindi Book PDF

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कल्याण बालक अंक हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kalyan Balak Anka Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : कल्याण बालक अंक | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक है : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 3 GB हैं | पुस्तक में कुल 898 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Kalyan Balak Anka. This book is written/Published by : Gita Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 3 GB. This book has a total of 898 pages.



पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेसभक्ति,धर्म3 GB898



पुस्तक से : 

भगवान् श्रीकृष्ण अत्यन्त छोटे नंग-धड़ंग बालक के रूप में हैं। अलसी के फूल जैसी उनके शरीर की आभा है । उनके अङ्ग-प्रत्यङ्ग सोने के आभूषणों से विभूषित हैं, बाल बिखरे हुए हैं, लाल-लाल ओठ हैं, बड़ी-बड़ी आँखें हैं। उन वसुदेवनन्दन को मैं मस्तक नवाकर प्रणाम करता हूँ। उन्होंने बायें हाथ में उल्लासपूर्वक परम मधुर दूध में उबाले हुए भात का कौर ले रखा है और दहिने हाथ में शरत्पूर्णिमा के चन्द्रमण्डल के समान गोल-गोल ताजे मक्खन का लौंदा रखा है। गले में चमचम करता हुआ सोने से मँढा हुआ बघनखा धारण किये हुए हैं। वे यशोदा के दिव्य शिशु दिगम्बर भगवान् श्रीकृष्ण हमें आनन्दित करें।

 

सुपथपर प्रभु | हमको ले चलो, प्राप्त हो संतत ध्रुव कल्याण | सकल कृतियाँ हैं तुमको विदित, पाप-दलको कर दो म्रियमाण ॥ पुण्यकी चमकने लगे, पापका हो न लेश भी शेष । प्रभा भरकर तुमको नमें, सहस्रों बार परम आणेश ॥

 

 

विद्या के समान दूसरा नेत्र नहीं है, सत्य के समान कोई तप नहीं है, राग के समान कोई दुःख नहीं है और त्याग के समान कोई सुख नहीं है। धर्म ही कामधेनु के समान सारी अभिलाषाओं को पूर्ण करनेवाला है, संतोष ही स्वर्ग का नन्दन कानन है, ज्ञान ही मोक्ष की जननी है और तृष्णा वैतरणी नदी के समान नरक में ले जानेवाली है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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