काशी रहस्यम् हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kashi Rahasyam Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : काशी रहस्यम् | इस पुस्तक के लेखक हैं : जगदीश नारायण दूबे | पुस्तक का प्रकाशन किया है : आदर्श प्रकाशन, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 128 MB हैं | पुस्तक में कुल 284 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Kashi Rahasyam. This book is written by : Jagdish Narayan Dube. The book is published by : Adarsh Prakashan, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 128 MB. This book has a total of 284 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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जगदीश नारायण दूबे | काव्य,भक्ति,धार्मिक | 128 MB | 284 |
पुस्तक से :
शिवपुराण में एक ऐसा व्याख्यान है कि जब भगवान शिव की पत्नी सती अपमानित होकर अपने पिता दक्ष के यहाँ हो रहे यज्ञकुण्ड में कूदकर मर गयीं तो उनके शोक में भगवान शिव उनका मृत शरीर लेकर विभिन्न स्थानों में घूमते रहे । जब वे वर्तमान मणिकर्णिका के पास पहुंचे तो सती का सिर टूटकर वहीं गिर पड़ा था। मोहवश भगवान शिव ने उसी स्थान को अपना स्थायी निवास स्थान बना लिया और उसके बाद शिव के गण भी वहीं आकर रहने लगे थे। उसी समय से इस स्थान का नाम गौरीमुख प्रसिद्ध हो गया ।
एक दिन जब उमा की मां ने महादेव की निन्दा करते हुए उन्हें दरिद्र ठहराया तो दुःखी होकर उमा ने भगवान शिव से कहा ’हे देव, अब मैं यहां नहीं रहना चाहती। मुझे अन्यत्र अपने घर ले चलिये ।' इस पर शिव जी ने अपनी प्रिय लीलाभूमि काशी चलने का विचार किया। चूँकि उस समय काशी में दिवोदास राज्य कर रहा था इसलिए शिवजी ने अपने गणों से उसे हटाने का आदेश दिया ।
जब काशी में देवदत्त राज्य कर रहा था उसी समय भारत में बौद्धमत प्रबल हो उठा। तो ५०० ईसा पूर्व में शाक्यसिंह ने सारनाथ में बौद्ध मन्दिर का स्थापना किया और वहीं उपदेश देने लगा। हिन्दूराजा देवदत्त के प्रभाव के कारण काशी में बौद्धधर्म का उन्नति नही हो सका, तो बौद्धराजा शिशुनाग ने देवदत्त को हराकर उसे अपने राज्य के अधीन कर लिया।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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