काया चिकित्सा हिन्दी पुस्तक | Kaya Chikitsa Hindi Book PDF

                            

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काया चिकित्सा हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kaya Chikitsa Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है: काया चिकित्सा | इस पुस्तक के लेखक हैं : विद्याधर शुक्ला | पुस्तक का प्रकाशन किया है : चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 15 MB हैं | पुस्तक में कुल 356 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Kaya Chikitsa. This book is written by: Vidyadhar Shukla. The book is published by: Chaukhamba Surbharati Prakashan. Approximate size of the PDF file of this book is 15 MB. This book has a total of 356 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
विद्याधर शुक्ला  आयुर्वेद,चिकित्सा15 MB356



पुस्तक से : 

वायु का कोई रूप नही होता, उसका ज्ञान शब्द और मुख्यत स्पर्शके द्वारा किया जाता है। वातनाडीको ही वात का रूप नही मानना चाहिए, अपितु वातनाडी वात का अधिष्ठान तथा वात के कार्य सम्पादनका माध्यम है। जिस प्रकार बिजली के तारोमे विद्युद् धारा प्रवाहित होती है, उसी प्रकार वातनाडियो मे वात प्रवाहित होता है । वातनाडी आश्रय है और वात माश्रयी है। नाडीमण्डल को आश्रय बना कर वात शरीर और मन की सम्पूर्ण क्रियाओंका सम्पादन करता है। वायु ही समस्त शरीरमें फैले हुए सिरा, धमनी आदि तन्त्र तथा हृदय, फुप्फुस, यकृत् एव मस्तिष्क सदृश यन्त्रो को अपने-अपने कार्य करनेकी शक्ति प्रदान करता है।

 

बच्चोको चुल्लिकाग्रंथि जब अविकसित या रोग्राक्रान्त होती है, तो बच्चे की अस्थियों पुष्ट नही होती, हाथ-पैर छोटे होते हैं, दाँत देर से निकलते हैं, बच्चा समयानुसार खडा नही हो पाता, शरीर का वर्धन नहीं होता, बच्चा बौना रह जाता है, बीज ग्रन्थि का विकास मन्द होता है, त्वचा रूक्ष, शुष्क तथा बाल पतनशील और अल्प होते है। मासपेशियाँ निर्बल होती हैं। चेहरा पीला रहता है। आयुके साथ शरीर नही बढता है। उनकी बुद्धि का विकास नही होता तथा मानसिक विकास कुण्ठित हो जाता है, जिससे ऐसे बच्चे जड-मन्दबुद्धि या मूढ  होते है।

 

 

अन्तःस्थ भागका कार्य रक्तभार को अधिक करना और अनैच्छिक मासपेशियो को उत्तेजित करना है। इससे यकृत मे शर्कराजन से शर्करा बनाने की शक्ति भी बढ़ जाती है । इस भागसे एक सार निकलता है, जिसे एड्रीनलीन कहते हैं। यह पिङ्गल नाडीमण्डल का उत्तेजक है एव इसके इञ्जेक्शन से रक्तभार वढ जाता है और धमनियाँ सकुचित हो जाती है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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