कुंडलिनी शक्ति हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kundalini Shakti Hindi Book
इस ग्रन्थ का नाम है : कुंडलिनी शक्ति | इस पुस्तक के लेखक हैं : अरुण कुमार शर्मा. इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 204 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 624 पृष्ठ हैं |Name of the book is: Kundalini Shakti | This book is written by : Kautilya. This book is published by : Chaukhamba Surbharti Prakashan, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is: 204 MB. This book has a total of 624 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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अरुण कुमार शर्मा | योग, तंत्रमंत्र, धर्म | 204 MB | 624 |
पुस्तक से :
आगम-निगम संस्थान, वाराणसी के संस्थापक प्रसिद्ध तांत्रिक तथा योग मनीषी पण्डित अरुण कुमार शर्मा की कृति 'कुण्डलिनी शक्ति' अपने आपमें एक रोचक, महत्त्वपूर्ण तथा आध्यात्मिक पुस्तक है। जिन विषयों का प्रतिपादन शर्माजी ने सहजता के साथ इस पुस्तकमें किया है उससे साधारण व्यक्ति भी उपनिषद्की गहराइयों तक पहुँच सकता है। हिन्दी साहित्यमें इस प्रकार की यह पहली पुस्तक है। धर्मकी इतनी व्यापक व्याख्या शर्माजी ने अपनी पुस्तक में की है कि उसका सुख पुस्तक पढ़ने से ही मिल सकेगा।
यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि भारत में शक्तिसाधना उपासना उतनी ही प्राचीन है जितना भारत. प्रागतिहासिक सिन्धुघाटी सभ्यता काल में इसके अनेक प्रमाण प्राप्त होते हैं। भारत के समान ही एशिया माइनर, मिश्र, फिनीशिया तथा यूनान में भी शक्तिसाधना उपासना प्रचलित थी। इससे भारतीय शक्तिवादके साथ इन देशों के मतों का घनिष्ठ सम्बन्ध दृष्टिगोचर होता है। फिर भी मातृरूपमें शक्तिकी साधना उपासना जितनी भारत में विस्तृत और दृढ़ हुई, उतनी अन्य किसी देश में नहीं।
कुण्डलिनी योगसाधना के मुख्य चार चरण हैं। प्रथम चरण में कुण्डलिनी शक्तिका जागरण, दूसरे चरण में कुण्डलिनी शक्तिका उत्थान, तीसरे चरण में चक्रोंका क्रमशः भेदन और अन्तिम चौथे चरण में सहस्रार स्थित शिवके साथ सामरस्य अथवा महामिलन होता है। इन चारों चरणों की साधना योग तंत्र की बाह्य और आभ्यन्तर- दोनों क्रियाओं द्वारा सम्पन्न होती है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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