कुण्डलिनी शक्ति कैसे जागृत करें हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kundalini Shakti Kaise Jagrat kare Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : कुण्डलिनी शक्ति कैसे जागृत करें | इस पुस्तक के लेखक हैं : विवेक श्री कौशिक | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 97 MB हैं | पुस्तक में कुल 260 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Kundalini Shakti Kaise Jagrat kare. This book is written by : Vivek Shri Kaushik. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 97 MB. This book has a total of 260 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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विवेक श्री कौशिक | भक्ति,धर्म,साधना | 97 MB | 260 |
पुस्तक से :
विश्व को जीतने की इच्छा रखने वाले को सर्वप्रथम स्वयं को जितने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि खुद को जीत लेने के बाद कुछ भी जीतने को शेष रह ही नही जाता है। उसी प्रकार ज्ञान चाहने वाले व्यक्ति को सर्वप्रथम अपने बारे में जानना चाहिए अपने शरीर के विषय में नहीं, बल्कि अपनी आत्मा के विषय में दूसरे शब्दों में कहें तो उसे अध्यात्म विद्या का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए क्योंकि आध्यात्मिक ज्ञान पा लेने के बाद किसी और ज्ञान को पाना शेष रह ही नही जाता है ।इसीलिए अध्यात्म विद्या को महाविद्या या गुप्त विद्या कहा गया है। इसे गुप्त रखा भी गया है—क्योंकि एक तो यह इतनी गहन, गूढ़, महत्त्वपूर्ण, उलझाव पूर्ण और रहस्यमयी है कि जन सामान्य की रुचि इसमें सहज उत्पन्न होती ही नहीं है।
वैज्ञानिको को प्रयोगशाला की जरूरत होती है। योगी के लिए उसका शरीर ही प्रयोगशालाकी भूमिका निभाता है। दोनों ही सत्य की खोज करते हैं, दोनों ही चमत्कारिक उपलब्धियां भी प्राप्त करते हैं। किन्तु बहिर्मुखी प्रगति में अधिक समय, श्रम व साधनोंकी आवश्यकता पड़ती है। अधिक बाधाएं व अनिश्चितताएं रहती हैं और दिशाभ्रम की पूरी सम्भावना भी होती है। जबकि अन्तर्मुखी प्रगति कम समय, श्रम व साधनों के साथ की जा सकती है। अवरोध भी कम होते हैं और निश्चितता भी रहती है। दिशाभ्रम की सम्भावनाएं तो होती ही नहीं है।
शरीर विज्ञान शरीरकी संरचना पर प्रकाश डालता है। त्वचा, मांसपेशियां, अस्थियां, ऊतक, कोशिकाओं आदि यह सब शरीर रचना विज्ञान के अर्न्तगत आते हैं। विज्ञान से हम शरीर के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं, परन्तु अधूरा। क्योंकि बहुतसे रहस्य यहां अनसुलझे रह जाते हैं और बहुत कुछ ऐसा बाकी रह जाता है जिस पर यह विज्ञान प्रकाश ही नहीं डाल पाता, क्योंकि वह सब सूक्ष्म है। कुछ सूक्ष्मातिसूक्ष्म है। इसके विषय में शरीर रचना विज्ञान न केवल मौन है, बल्कि इसके अस्तित्त्व के विषय में भी संदिग्ध है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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