मेरु तंत्र हिन्दी पुस्तक | Meru Tantra Hindi Book PDF

                                 

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मेरु तंत्र हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Meru Tantra Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : मेरु तंत्र | इस पुस्तक के लेखक हैं : रघुनाथ शास्त्री | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 681 MB हैं | पुस्तक में कुल 838 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Meru Tantra. This book is written by : Raghunath Shastri. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 681 MB. This book has a total of 838 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
रघुनाथ शास्त्रीतंत्र-मंत्र681 MB838



पुस्तक से : 

जुहुयादाहुतीरौ केवलाज्येन मन्त्रवित् ॥ हुत्वा पूर्णाहुति मन्त्री स्तुत्वा मूलाणुना ततः ॥ अग्रि सम्प्रार्थ्याग्निसाङ्गमन्त्रेणैकाहुति हुनेत् || सप्पिषा सुबमापूर्ण्य पुष्पञ्चोपर्थ्यधोमुखम् ॥ स्रुवोपरि स्रुवन्दा पुष्पन्तत्र प्रपातयेत् ॥ सव्योत्तरकराभ्यां च सम्पुटाभ्याञ्च शङ्खवत् || होमन्तु मांसमाषाभ्यां तीर्थाह्वाभ्यां च पूर्णताम् ॥

 

सर्वेषामपि वस्तूनामलाभे भाव नैव हि || निर्मलेनोदकेनैव पूजयेत्स्थिरमानसः ॥ सामान्यत स्त्रिधा पूजा चोत्तमाधममध्यतः ॥ अधिकारिनिमित्ताभ्यां भियते शतधा पुनः ॥ या सोपकरणा पूजा क्रियमाणोत्तमा मता ॥ यथालव्धैर्विनि प्याद्या द्रव्यैः पूजा तु मध्यमा ॥

 

 

मेरुतन्त्रे तु यत्त्रोक्तं तत्स्थिरं नान्यथा भवेत् ॥ इति देवाः समाख्यातो युष्मत्प्रश्नविनिर्णयः || यद्विचा कृतं कर्म न दुःखाय प्रवर्तते ॥ अतो वेदोदितं कर्म्म कार्य निःश्रेय साय वै ॥

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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