मुहूर्त चिंतामणि हिन्दी पुस्तक | Muhurt Chintamani Hindi Book PDF

                                         

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मुहूर्त चिंतामणि हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Muhurt Chintamani Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : मुहूर्त चिंतामणि | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित महीधर शर्मा |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : खेमराज श्रीकृष्ण दास | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 39 MB हैं | पुस्तक में कुल 170 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Muhurt Chintamani. This book is written by : Pandit Mahidhar Sharma. The book is published by : Khemaraj Shrikrishna Das. Approximate size of the PDF file of this book is 39 MB. This book has a total of 170 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित महीधर शर्माभक्ति,धर्म39 MB170



पुस्तक से : 

जन साधारण के हृदयकमलों में विकासमान नहीं होता, परंतु इसके विपरित उन्हे विपरीतता का आभास स्वतः कालानुसार उत्पन्न होने ही लगता है। इसका कारण सामयिक महिमा से भाषा संस्कृत का गायब होना ही है । इसी कारण से लगातार ही प्रत्यक्ष शास्त्र क्रमशः लुप्त होता जा रहा है। द्वितीय कारण यह है कि इस संस्कृत अल्पपरिचय से बहुत से मनुष्य कुछ सामान्य फलादेश देख और सुनकर तुरंत ही भूता आदि विद्या का अभ्यास करके तत्काल मनोहर बातें चमत्कारी दिखलाकर लोगों के मन का मोहन करके अल्प श्रम से बस अपना लाभ उठा लेते हैं। उस समय वे पाखण्डी पण्डितजी तो कहाते हैं परन्तु परिणाम में उनके कहे हुए फल अविश्वश्य प्रकट हो ही जाते हैं।

 

कन्या वा पुत्र मूल के प्रथम चरण में उत्पन्न हो तो पिता नष्ट हो, दूसरे में हो तो माता मरे, तीसरे में हो तो धननाश हो, चौथे चरण में हो तो शांति करके शुभ हो किसी को दोष नहीं. आश्लेवा में यही विचार विपरीत हैं, जैसे-चतुर्थ चरण में पिता मरे, तीसरे में माता, दूसरे में बननाश, प्रथम चरण शांति करके शुभ होता है, प्रकारांतर है कि १ वर्ष में पिताका ३ वर्ष मे माता का २ वर्ष में घन का ९ वर्ष में श्वशुर का ६ वर्ष में भाईका ८ वर्ष में साले वा मामा का नाश करता है, तस्मात् शांति करनी योग्य है, प्रकारांतर से मूल तथा आश्ले बाका वृक्ष वा लतारूप से चक्रन्यासपूर्वक विशेष विचार चक्र में लिखा है।

 

 

गोधूली का और भी प्रकार है कि गुरुवार के दिन सूर्यास्त होने पर गोधूली होती है, सूर्यास्त के पूर्व आधी घटी अर्द्धयाम होने से छोड़ दिया। शनिवार में सूर्य दिखते ही क्योंकि सूर्यास्त में कुलिक हो जायगा तथा सायंकालीन लग्न से व लग्न में चन्द्रमा हो तो कन्या का नाश होवे, लग्न सप्तम अष्टम में मंगल हो तो वर का नाश होवे, ऐसे मुख्य दोष गोधूली में भी वर्जित हैं, पंचांगशुद्धि भी मुख्य विचार्य है और भाव में चन्द्रमा हो तो सुख देता है, गोधूली में हो तो और भी विशेषता है ।।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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