प्रेम योग हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Prem Yog Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: प्रेम योग | इस पुस्तक के लेखक हैं : स्वामी विवेकानन्द | पुस्तक का प्रकाशन किया है : श्री रामकृष्ण आश्रम, नागपूर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 4 MB हैं | पुस्तक में कुल 186 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Prem Yog. This book is written by: Swami Vivekananda. The book is published by: Shri Ramkrishna Ashram, Nagpur. Approximate size of the PDF file of this book is 4 MB. This book has a total of 186 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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स्वामी विवेकानन्द | धर्म,भक्ति,प्रेरक | 4 MB | 186 |
पुस्तक से :
भक्ति किसी वस्तु का संहार नहीं करती वरन् भक्ति हमें यह सिखाती है कि हमें जो शक्तियां दी गई हैं उनमें से कोई भी निरर्थक नहीं है बल्कि उन्हीं के अन्तर्गत हमारी मुक्ति का स्वाभाविक मार्ग है। भक्ति न तो किसी वस्तुका निषेध ही करती है, न वह हमें प्रकृतिके विरुद्ध ही चलाती है। भक्ति तो केवल हमारी प्रकृतिको ऊँची उठाती है और उसे अधिक शक्तिशाली प्रेरणा देती है। इंद्रिय विषयोपर हमारी कैसी स्वाभाविक प्रीति हुआ करती है। ऐसी प्रीति किये बिना हम रह ही नहीं सकते क्योंकि ये विषय-ये पदार्थ हमें इतने सत्य प्रतीत होते हैं।
प्रथम साधना है 'विवेक' यह विशेषतः पाश्चात्यों की दृष्टि में विचित्र बात है। श्री रामानुजाचार्य के मत से इसका अर्थ है "आहारमीमांसा " या खाद्या खाद्य विचार "। हमारे शरीर और मनकी शक्तियों की निर्माण करने वाली समग्र संजीवनी शक्तियां हमारे भोजनके भीतर ही रहती हैं। अभी जो कुछ मैं हूं सो सब ही इसके पूर्व मैंने जो खाया उस भोजन सामग्री में ही था। वह सब खाद्य पदार्थों से ही मेरे शरीर में आया उसमें संचित रहा और नया रूप धारण किया पर वस्तुतः मेरे शरीरमें और मेरे मनमें मेरे खाये हुए अन्न से भिन्न और कोई वस्तु नहीं है।
मांस भक्षणका अधिकार उन्हीं मनुष्योंको है जो बहुत कठिन परिश्रम करते हैं और भक्त नहीं होना चाहते हैं। पर आप यदि भक्त होना चाहते हैं तो आपको मांसका त्याग करना चाहिये वैसेही सभी उत्तेजक भोजन-जैसे प्याज, लहसुन और सभी दुर्गंध युक्त पदार्थों जैसे सावर कौट इत्यादि का त्याग करना चाहिये। कई दिनोंका बना हुआ भोजन, प्रायः सड़ा हुआ अन्न जिसके स्वाभाविक रस सूख गये हैं या जिसमें दुर्गंधि आगई है ऐसे खाद्य वस्तुओं का भी परित्याग करना आवश्यक है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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