प्रेरक नीति कथाएं हिन्दी पुस्तक | Prerak Niti Kathayen Hindi Book PDF

                                              

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प्रेरक नीति कथाएं हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Prerak Niti Kathayen Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : प्रेरक नीति कथाएं | इस पुस्तक के लेखक हैं : शिवकुमार गोयल |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1 MB हैं | पुस्तक में कुल 131 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Prerak Niti Kathayen. This book is written by : Shivkumar Goyal. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 1 MB. This book has a total of 131 pages.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
शिवकुमार गोयलकहानियां1 MB131



पुस्तक से : 

एक दिन की बात है भगवान् बुद्ध धर्म का संदेश देते हुए एक गाँव की ओर जा रहे थे। रास्ते में विश्राम करने के लिए वे एक सुंदर तालाब के किनारे वृक्ष के नीचे बैठ गए। तालाब में सुंदर कमल के पुष्प खिले हुए थे। विभिन्न रंगों के कमल पुष्पों की अनूठी छटा देखकर वे अभिभूत हो उठे तथा तालाब के जल में उतरने से खुद को रोक न सके। कमल की अनूठी सुगंध का सेवन कर सुध-बुध खो बैठे। सुगंध से तृप्त होकर जैसे ही वे जलाशय से बाहर निकलने लगे कि देवकन्या की वाणी उन्हें सुनाई दी, 'महात्मन्, तुम बिना कुछ दिए इन पुष्पों की सुरभि का सेवन कैसे करते रहे।’

 

तुमने मुझे तो चोर कह दिया किंतु यह निर्दयता के साथ फूलों को तोड़कर किनारे फेंक रहा है। तुम इसे क्यों नहीं रोक रही हो?' देवकन्या ने कहा, 'भगवन्, सांसारिक मानव अपने लाभ के चलते धर्म-अधर्म में भेद नहीं कर पाता। ऐसा अज्ञानी व्यक्ति क्षम्य है, किंतु जिसका अवतार इस धरती पर धर्म प्रचार के लिए हुआ है, उसे तो प्रत्येक कृत्य के उचित–अनुचित का विचार करना ही चाहिए।'

 

 

भगवान बुद्ध ने जब ये शब्द सुने, तो हतप्रभ खड़े रहे। अचानक एक व्यक्ति तालाब में प्रवेश किया तथा कमल के फूल तोड़ने लगा। देवकन्या उसे कमल तोड़ते एकटक देखती रही । फिर बुद्ध ने कहा, 'देवी, मैंने तो केवल गंध का ही सेवन किया था, पुष्प का स्पर्श भी नहीं किया था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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