स्तोत्र रत्नावली (गीता प्रेस) पुस्तक | Stotra Ratnavali (Gita-Press) Book PDF

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स्तोत्र रत्नावली हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Stotra Ratnavali Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : स्तोत्र रत्नावली | इस ग्रन्थ के लेखक/प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 171 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 855 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Stotra Ratnavali | This book is written/published by : Gita-Press, Gorakhpur | Approximate size of the PDF file of this book is: 171 MB. This book has a total of 855 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेस, गोरखपुरभक्ति, धर्म171 MB855


पुस्तक से :

इनको क्षणभंगूर जानकर रे मन! दूरहीसे त्याग दे और आत्मानुभव के लिये गुरुवचनानुसार पार्वतीवल्लभ श्रीशंकरका भजन कर. देखते देखते आयु नित्य नष्ट हो रही है, यौवन प्रतिदिन क्षीण हो रहा है, बीते हुए दिन फिर लौटकर नहीं आते, काल सम्पूर्ण जगत्को खा रहा है। लक्ष्मी जलकी तरङ्गमाला के समान चपल है; जीवन बिजलीके समान चञ्चल है.

 

जो अपनी भक्ति प्रदान करनेके लिये अत्यन्त रमणीय तथा निर्मल सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में दयापूर्वक अवतीर्ण हुए हैं, चन्द्रमा जिनके मस्तकका आभूषण है, उन ज्योतिर्लिंगस्वरूप भगवान् श्रीसोमनाथकी शरण में जाता हूँ. जो ऊँचाई के आदर्शभूत पर्वतोंसे भी बढ़कर ऊँचे श्रीशेलके शिखर पर, जहाँ देवताओंका अत्यन्त समागम होता रहता है, प्रसन्नतापूर्वक निवास करते हैं तथा जो संसार सागरसे पार करानेके लिये पुलके समान है, उन एकमात्र प्रभु मल्लिकार्जुनको मैं नमस्कार करता हूँ.

 


हे कामदेवपर विजय पानेवाली मा! कामनाओंकी आदि कारण भी तुम्ही हो! तुम परब्रह्मस्वरूप महेश्वरकी पटरानी हो। अतः तुम्हीं संतोंके मोक्षका बीज हो. मेरा मन चञ्चल है। इसलिये यद्यपि मैंने आपकी प्रचुर भक्ति नहीं की है तथापि आप श्रीमतीको इस समय मुझपर अवश्य ही दयादृष्टि करनी चाहिये । चातक चाहे प्रेम करे या न करे पर मेघ तो उसके मुखमें मधुर जल गिराता ही है अथवा मुझे बड़ी शंका हो रही है कि मेरी बुद्धि किन विधियोंसे आपमें अनुनीत हो, आपकी ओर लगे. हे साधु चरित्रोंवाली मा ! तुम बहुत शीघ्र अपनी कृपाकटाक्षयुक्त दृष्टिसे मुझे निहारो!

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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