सुवर्णद्वीपीय रामकथा हिन्दी पुस्तक | Suvarnadwipiya Ramkatha Hindi Book PDF

                                              

Suvarnadwipiya-Ramkatha-Hindi-Book-PDF


सुवर्णद्वीपीय रामकथा हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Suvarnadwipiya Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : सुवर्णद्वीपीय रामकथा | इस पुस्तक के लेखक हैं : राजेंद्र मिश्र |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 14 MB हैं | पुस्तक में कुल 115 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Suvarnadwipiya Ramkatha. This book is written by : Rajendra Mishra. The book is published by : Rashtriya Sanskrit Sansthan. Approximate size of the PDF file of this book is 14 MB. This book has a total of 115 pages.



पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
राजेंद्र मिश्रभक्ति,धर्म,प्रेरक14 MB115



पुस्तक से : 

इसके फलस्वरूप देववाणी संस्कृत एवं स्थानीय जावी बोलीको मिश्रित कर विद्वान पंडितों ने एक प्रौढ साहित्यिक भाषाका निर्माण किया जिसे कवि कहा गया। यह संस्कृतके ही समान सौशब्दय एवं अर्थगाम्भीर्य का वहन करने में समर्थ भाषा थी। इसी भाषा में ईसा की प्राय: आठवीं शताब्दी से २०वीं शताब्दी के आरंभिक चरण तक जावा तथा बाली में उच्च कोटि के अपार वाडमय की सर्जना हुई थी। कवि भाषा को ही डच विज्ञानियों ने ओल्ड जावानीज नाम दिया है।

 

सुवर्णद्वीप (जावा एवम बाली) की स्थिति थोड़ी अलग रही है। यहाँ धार्मिक सहिष्णुता अपनी पराकाष्ठा पर थी। एक ही वंशमें पिता परम वैष्णव है तो वही पुत्र परम शैव अथवा बौद्ध मतरामवंशी अधिकांश नरेश विष्णु एवं शिवके उपासक रहे थे। सम्राट् एरलंग को तो विष्णु का अवतार ही माना जाता था। अपनी दोनों रानियों के साथ वह अपनी मुद्राओंमें लक्ष्मीयुगल के बीच आसीन श्री विष्णु के रूप में प्रदर्शित किया गया है।

 

 

इस प्रकार जिन भी क्षेत्रों में बौद्ध धर्म प्रभावी रहा वहाँ अवैदिक परम्परा वाली विकृत रामकथा ही प्रचलित रही। सिंहल,थाईलैण्ड, लाओस, मलेशिया (हिकायत महाराजा सेरि राम) तथा वर्मा आदि की रामकथाएँ इसी श्रेणी की है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


डाउनलोड लिंक :

"सुवर्णद्वीपीय रामकथा" हिन्दी पुस्तक को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |

To download "Suvarnadwipiya Ramkatha" Hindi book in just single click for free, simply click on the download button provided below.


Download PDF (14 MB)


If you like this book we recommend you to buy it from the original publisher/owner. Thank you.