तर्क संग्रह हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Tark Sangrah Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : तर्क संग्रह | इस पुस्तक के लेखक हैं : अन्नम भट्ट | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 3 MB हैं | पुस्तक में कुल 86 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Tark Sangrah. This book is written by : Annam Bhatta. The book is published by : Unknown . Approximate size of the PDF file of this book is 3 MB. This book has a total of 86 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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अन्नम भट्ट | उपन्यास,साहित्य | 3 MB | 86 |
पुस्तक से :
मैं जो अन्नम्भट्टोपाध्याय नाम करके हूं सो मैं तर्कसंग्रह नामक ग्रंथको करता हूं, क्या करके करता हूँ, संपूर्ण विश्वका स्वामी जो परमेश्वर उसको हृदयमें स्थापन करके अर्थात् निरंतर उसका ध्यान करके, फिर क्या करके अपने विद्यागुरुको वंदना करके, इतने करके ग्रन्थके आदि में ईश्वरका और गुरु का नमस्कार रूप मंगलश्री दिखा दिया.
वायुमें नव गुण रहते हैं, और तेज में ग्यारा गुण रहते हैं, जल तथा पृथिवी और प्राणभृत् जो जीवात्मा इनमें से हर एक में चौदा चौदा गुण रहते हैं, दिगू तथा काल में से हर एक में पांच पांच गुण रहते हैं और अम्बर नाम आकाश का है उसमें छैः गुण रहते हैं और महेश्वर जो ईश्वर है उसमें आठ गुण रहते हैं और मन में भी आठ गुण रहते हैं। अब प्रत्येक द्रव्य के गुणों को पृथक् पृथक् करके दिखाते हैं ।
जो कपिला हो उसीका नाम गौ है, सो यह लक्षण अव्याप्तिदोष करके ग्रस्त है ॥ लक्ष्यैकदेशावृत्तित्वम् व्याप्तिः " जो लक्ष्य के एक देश में रहे और एक देश में न रहे वह अव्याप्ति दोष होता है, सो पूछनेवाले ने तो गौमात्र का लक्षण पूछा और गोपदका लक्ष्य गौमात्र हुआ और कपिलत्व जो लक्षण है सो गौमात्र में नहीं घटता क्योंकि कपिलत्व तो कपिला गौ में ही रहता है. श्वेत रक्त गौमें नहीं रहता इस वास्ते कपिलत्व लक्षण अव्याप्तिरूप दोष करके ग्रस्त है यह दुष्ट लक्षण है अपने लक्ष्य की सिद्धि नहीं कर सक्ता ।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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