वैदिक योगसूत्र हिन्दी पुस्तक | Vaidik Yogasutra Hindi Book PDF

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वैदिक योगसूत्र हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vaidik Yogasutra Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : वैदिक योगसूत्र | इस ग्रन्थ के रचनाकार हैं : पंडित हरिशंकर जोशी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी. पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 18 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 427 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Vaidik Yogasutra | This book is written by : Pandit Harishankar Joshi | This book is published by : Chaukhamba Sanskrit Series Office, Vara. Approximate size of the PDF file of this book is: 18 MB. This book has a total of 427 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित हरिशंकर जोशीभक्ति, धर्म18 MB427


पुस्तक से :

अककलुषिता निर्मला महती मधुरिमामयी जिस वेदविद्या के अमृतमय घूँट को हमारे पूर्वज महर्षिगण उपनिषद् युग तक अविछिन्न रूप से पीते आ रहे थे, उसके एकाएक ह्रास होने की जो निराश करने वाली सूचना भगवद्गीता और रामायणसे लेकर प्रायः सभी प्राचीन ग्रन्थोंने दी है और तब से लेकर अब तक उस अन्धयुगकी धुआँधार धांधली ने उस अमृतमय वाणी, वैदिक वाजाय की व्याख्या की जैसी उत्तरोत्तर शतमुखी अधोगति की है उसके उद्धार के लिए किसी भी विद्वान् को उचित रूप से प्रवृत्त ही न देखकर यह लेखक अकेले ही उन महर्षियोंके मर्गों की मार्मिकताओं को बटोर बटोर कर इस ग्रन्थ में नवीन रूप में प्रस्तुत करने का जीवनव्यापी प्रयास सामने रख रहा है।

 

वेदविद्या या वैदिक दर्शन का लोप केवल अनूचान शुश्रुवान्स महर्षियों के अभाव के ही कारण नहीं हुआ, वरन् उक्त विद्या के पथ प्रदर्शक ग्रन्थके अभाव से भी हुआ; पर उन महर्षियों ने ऐसा ग्रन्थ इस लिए प्रस्तुत नहीं किया था कि वह विद्या अत्यंत रहस्यमय और पवित्रतम मानी जाती रही, जिसे सभी को नहीं दिया जा सकता। दूसरी बात न देने के लिए यह है कि वेदोंका अधिकांश विषय योग से सम्बन्ध रखता है।

 


प्रस्तुत ग्रन्थ 'वैदिक योगसूत्र' या 'वैदिक योगदर्शन' को मूलतया संस्कृत के सूत्रों में प्रस्तुत किया गया है। ये सूत्र या तो वेदोंके पूरे या आधे या एक भाग रूप मंत्र हैं या ब्राह्मणों या उपनिषदों अथवा गीताके उद्भूतांश हैं। जिसका जितना भाग उद्धृत है उसे बन्द कोष्ठों में रखा गया है और कहीं कहीं आदि और अन्त में वाक्य मिलाने के लिए कुछ शब्द लेखक ने जोड़ रखे हैं। जहां मंत्र या अन्य ग्रन्थों के अवतरण अवसरानुकूल नहीं बैठ सके वहां लेखकने उनका भाव लेकर अपनी भाषा में सूत्र बना दिया है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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