विराम चिन्ह (रामधारी सिंह दिनकर) हिन्दी पुस्तक | Viram Chinh ( Ramdhari Singh Dinkar) Hindi Book PDF

                                             

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विराम चिन्ह हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Viram Chinh Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : विराम चिन्ह | इस पुस्तक के लेखक हैं : रामधारी सिंह दिनकर |  पुस्तक का प्रकाशन किया है : हिन्दी प्रचारक पुस्तकालय, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 8 MB हैं | पुस्तक में कुल 87 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Viram Chinh. This book is written by : Ramdhari Singh Dinkar. The book is published by : Hindi Pracharak Pustakalaya, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 8 MB. This book has a total of 87 pages.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
रामधारी सिंह दिनकरकाव्य8 MB87



पुस्तक से : 

हिन्दी में काव्य के विकास की कहानी बड़ी रोचक है। इसे रोचक बनाने में विराट् भारतीय वाङ्मय के अतिरिक्त समृद्ध विदेशी साहित्य का उन्मुक्त योगदान भी कम नहीं है। इस काल में अनेक महाकवि और कितने ही सामान्य कवि आ चुके है, सबने अपनी-अपनी विशेषता के अनुरूप लोकाह्लादन किया और कर रहे हैं। इन्हें निकट से देखकर प्रत्येक सहृदय को जरूर हर्ष ही होगा, हिन्दी-प्रेमियों को गर्वका अनुभव होगा और तटस्थ द्रष्टा को चकित होना ही पड़ेगा ।

 

दे दिया तुमको बनाकर प्राण का मैंने खिलौना चाँदको छूने चला था मैं मरुस्थल और बोमा पर, पपीछे की रटन से है कभी मृगजल न बदला सत्य आखिर सत्य हैं,

 

 

चाह चाँदनी की मुरझायी, छिपा चाँद यौवन का तम में, आयुरागिनी भी अकुलाती, रह-रह कर बिछुड़म के भ्रम में । जलते रहें स्नेह के क्षण ये, जब तक जीवन में अँधियारा । तुम बुझने का नाम न लेना जब तक सम्मुख है ध्रुव तारा,

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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