व्रत कथा हिन्दी पुस्तक | Vrat Katha Hindi Book PDF

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व्रत कथा हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vrat Katha Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : व्रत कथा | इस ग्रन्थ के लेखक/प्रकाशक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 30 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 382 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Vrat Katha | This book is written/published by : Unknown | Approximate size of the PDF file of this book is: 30 MB. This book has a total of 382 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
अज्ञातभक्ति, धर्म30 MB382


पुस्तक से :

दीपावली के तीसरे दिन अर्थात् कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज के नाम से जाना जाता है। इस दिन भाई अपनी बहन के हाथो रोली-अक्षत लगवाकर मिठाई खाना और उसे दक्षिणा के रूप में कुछ द्रव्य भी देता है। इस दिन भाई के लिए बहिन के घर का भोजन करने का विधान है। परन्तु कहीं-कहीं जिनके भहाई बहिन के घर नहीं पहुंच पाते उनकी बहिने भाईके घर पर जा कर उन्हें टीका लगाकर मिठाइयाँ खिलाती है।

 

सरस्वती नदी के किनारे बसी सुन्दर और सम्पन्न नगरी भद्रवती में द्युतिमान नाम का चन्द्रवंशी राजा राज्य करता था। इसी नगरमें धन-धान्य से परिपूर्ण धनपाल नामक एक वैश्य रहता था। वह वैश्य अत्यन्त धर्मात्मा एवं विष्णुभक्त था। उसने नगरमें अनेकों भोजनालय, प्याऊ, कुएं तालाब एवं धर्मशाला आदि बनवाये। सड़कों के किनारे आम, जामुन, नीम आदि के अनेक वृक्ष लगवाये उस वैश्य के सुमना, सदबुद्धि, मेधावी, सुकृति और धृष्टबुद्धि नाम के पाँच पुत्र थे।

 


राजा महीजित की इस समस्या के निवारण हेतु प्रजा के प्रतिनिधि तथा मंत्रीगण वन में जाकर बड़े-बड़े ऋषियों और मुनियों के दर्शन करते हुए, किसी विद्वान तपस्वीकी तलाश में लग गए एक आश्रम में उन्होंने एक अत्यन्त वयोवृद्ध, धर्मके ज्ञाता, बड़े तपस्वी, परमात्मा में मन लगाये हुए गूढ़ तत्वों को जानने वाले, समस्त शास्त्रोंके ज्ञाता महात्मा लोमेश मुनि को देखा। एक कल्पके व्यतीत होने पर एक रोम गिरता था लोमेश ऋषि का, इतनी अधिक थी उनकी आयु.

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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