वृहद् हस्तरेखा शास्त्र हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Vrihud Hastrekha Shastra Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है: वृहद् हस्तरेखा शास्त्र | इस पुस्तक के लेखक हैं : डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली। पुस्तक का प्रकाशन किया है : हिन्द पुस्तक भण्डार, दिल्ली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 9 MB हैं | पुस्तक में कुल 350 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Vrihud Hastrekha Shastra. This book is written by: Dr Narayan Dutt Shrimali. The book is published by: Hind Pustak Bhandar, Delhi. Approximate size of the PDF file of this book is 9 MB. This book has a total of 350 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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डॉ. नारायन दत्त श्रीमाली | ज्योतिष, धार्मिक | 9 MB | 350 |
पुस्तक से :
परमात्मा ने मानव जीवन की और विशेषकर मनुष्य की संरचना कुछ इस प्रकारसे की है कि आज तक संसार के सारे वैज्ञानिक इस जटिल प्रक्रिया को सुलझानेका जी-तोड़ प्रयत्न करने पर भी अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पा रहे हैं। वे जितना ही ज्यादा इस प्रक्रियाको समझने का यत्न करते हैं, उतने ही ज्यादा उलझते चले जा रहे हैं। इस विश्व में जितना भी ज्ञान और विज्ञान है उन सभीका ध्येय मानव और मानवके व्यवहार को समझना एवं उसे सुख पहुंचाना है, परन्तु यह सुख उसे तभी मिल सकता है जबकि वह मनुष्यके उन गोपन रहस्यों को पहले से ही जान ले जोकि अचानक अनिश्चय के रूप में प्रकट होकर उसके सारे किये-कराये पर पानी फेर देता है।
इसके साथ ही इस बातका भी ध्यान रखना चाहिए कि जब हम किसी पुरुष के दाहिने हाथको महत्व दें और उस हाथ में कोई बात स्पष्ट दिखाई न दे तो उसकी स्पष्टता के लिए दूसरे हाथ का अर्थात् बायें हाथका आश्रय लेना चाहिए । इस प्रकार यदि कोई तथ्य या घटना दोनोंही हाथों से दिखाई दे तो उस घटना को प्रामाणिक मानना चाहिए। इसी प्रकार जो महिलाएं राजकीय सेवा में हैं अथवा स्वतंत्र व्यवसायमें संलग्न हैं उनका दाहिना हाथ देखना चाहिए, पर इसके साथ ही साथ यदि कोई बात पूर्णतः स्पष्ट नहीं होती है तो उसकी स्पष्टता बायें हाथ को देख कर ज्ञात कर लेनी चाहिए।
मैंने हस्तरेखा की प्रामाणिकता के लिए अनुभव जन्य परीक्षण किए। आापको यह जानकर आश्चर्य होगाकि विशेष तथ्य के लिए एक विशेष चिह्न होता है, और उस विशेष चिह्न के माध्यमसे उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझा जा सकता है। जिस प्रकार जन्मकुण्डली को समझने के लिए और उसके माध्यमसे सही भविष्य स्पष्ट करने के लिए इस बातका ज्ञान जिस ज्योतिषी को हो कि इस जन्मकुण्डली का मूल कौन-सा ग्रह है, जिसने इसके सारे व्यक्तित्वको प्रभावित कर रखा है। जब उस ग्रहकी पकड़ आ जाती है या उस ग्रहको समझ लिया जाता है तब उस व्यक्ति का व्यक्तित्व पूरी तरह से हमारे सामने साकार हो जाता है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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