प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां हिन्दी पुस्तक | Prem Chand ki Sarvshreshth Kahaniya Hindi Book PDF

                                      

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प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Prem Chand ki Sarvshreshth Kahaniya Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां | इस पुस्तक के लेखक हैं : मुंशी प्रेमचन्द | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 5 MB हैं | पुस्तक में कुल 204 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Prem Chand ki Sarvshreshth Kahaniya. This book is written by : Munshi Premchand. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 5 MB. This book has a total of 204 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
मुंशी प्रेमचन्दकहानी5 MB204



पुस्तक से : 

जब तक बूढ़े को मोटर दिखाई देती रही, वह खड़ा टकटकी लगाये उस ओर लगातार देखता रहा। शायद उसे अब भी डाक्टर साहब के लौट आने का इंतजार था। फिर उसने कहारों से डोली उठाने को कहा। डोली जिधर से आई थी, उधर ही चली गई। चारों ओर से निराश होकर वह डाक्टर चड्ढा के पास लौट आया था। इनकी बड़ी के तारीफ़ सुनी थी । यहाँ से निराश होकर फिर वह किसी दूसरे डाक्टर के पास न गया।

 

कैलास ने उसकी गरदन खूब दबाकर उसका मुंह खोला और उसके ज़हरीले दांत दिखाते हुए बोला, जिन सज्जनों को शक हो, आकर देख लें। आया विश्वास, या अब भी कोई शक है? मित्रों ने आकर उसके दांत देखे और सभी चकित हो गये। प्रत्यक्ष प्रमाण के सामने सन्देह को स्थान कहाँ ?

 

 

चौकीदार चला गया। भगत ने अपना पैर आगे बढ़ाया। जैसे नशे में आदमी की देह अपने काबू में नहीं रहती। पैर कहीं रखता है, पड़ता कहीं है, कहता कुछ और है, जुबान से निकलता कुछ और हैं, वही हाल इस समय भगत का था। मन में प्रतिकार था, हिंसा थी, पर कर्म मन के अधीन न था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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