पृथ्वी की अद्भुत रोग नाशक शक्ति हिन्दी पुस्तक | Prithvi ki Adbhut Rog Nashak Shakti Hindi Book PDF

  

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पृथ्वी की अद्भुत रोग नाशक शक्ति हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Prithvi ki Adbhut Rog Nashak Shakti Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : पृथ्वी की अद्भुत रोग नाशक शक्ति | इस पुस्तक के संपादक/लेखक हैं : युगलकिशोर चौधरी. इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : अज्ञात. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 1.5 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 36 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Prithvi ki Adbhut Rog Nashak Shakti | This book is edited/translated by : Yugalkishor Chaudhary. This book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is: 1.5 MB. This book has a total of 36 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
युगलकिशोर चौधरीचिकित्सा, आयुर्वेद1.5 MB36


पुस्तक से :

इस पुस्तक में पूर्ण रूप से यह दिखाया जायगा कि मनुष्य थलचर है और इसीलिए सदा ही अबाधित रूप से उसे पृथ्वी पर रहना उचित है। जिस प्रकार मछली जलचर है और जल के बिना नहीं जी सकती उसी प्रकार पृथ्वी से दूर रह कर मनुष्य भी निरोग दीर्घजीवी अथवा बलवान नहीं बन सकता।

 

मछली को पानी में रहना चाहिए । जब उसे पानी से बाहर निकाला जाता है तो तड़फने लग जाती है और कुछ देर में मर जाती है क्यों ? इसीलिए कि जल के बिना जीवित नहीं रह सकती । मगर एक चील या गाय वह या मनुष्य पानी में नहीं रह सकते । चील हवा में रहने से नीरोग रहेगी, गाय व मनुष्य पृथ्वी पर रह कर ही नीरोग रह सकते हैं. ईश्वर ने जिस प्राणी को जिस ढंग से जहां के लिये रचा है उसे उसी अवस्था में वहीं रहना उचित है।

 


पृथ्वी में अद्भुत आरोग्यदायक शक्ति है। आप नंगे पाँव पक्के अंगन में या लकड़ी या पत्थर पर चल कर देखें कभी इतनी शान्ति नहीं मिलेगी जितनी खुली जमीन, बालू या मिट्टी पर नंगे पांव चल कर मिलेगी। इसमें भी यह भेद है कि नंगे पांव सुखी जमीन या सूखी दूब पर चलने की अपेक्षा गीली धरती पर या भींगी हुई दूब पर चलने से बड़ी ही शान्ति, बल व आरोग्य प्राप्त होते हैं. जंगल में रहने वाले पुरुषों ने व कृषकों ने पूर्ण रूप से यह जाहिर किया है कि घर में बिछौने पर सोने की अपेक्षा या अन्य चीजों पर बैठने की अपेक्षा जब कभी वे जंगल में या खेत में खुली धरती पर बिना कुछ बिछाए बैठे या सोए तो बड़ा ही सुख व शांति मिले और बड़ी ही मीठी नींद आई जो कि कहने में नहीं आ सकती।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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