आधुनिक हिंदी साहित्य का विकाश हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Aadhunik Hindi Sahitya Ka Vikas Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : आधुनिक हिंदी साहित्य का विकाश | इस पुस्तक के लेखक हैं : डॉ. श्रीकृष्ण लाल | पुस्तक का प्रकाशन किया है : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 16 MB हैं | पुस्तक में कुल 486 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Aadhunik Hindi Sahitya Ka Vikas. This book is written by : Dr Shri Krishna Lal. The book is published by : Unknown. Approximate size of the PDF file of this book is 16 MB. This book has a total of 486 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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डॉ. श्रीकृष्ण लाल | भाषा,साहित्य | 16 MB | 486 |
पुस्तक से :
साहित्यिक रूपों की अनेकरूपता से महत्त्वपूर्ण इस युग की आत्मा है। हिन्दी साहित्यका वीर गाथा-काल वीरता का युग था। उसमें वीर रस की प्रधानता रही। उसी प्रकार भक्ति काल और रीति कालमें भक्ति और शृंगार की प्रधानता रही। हिन्दी साहित्य की यही तीन प्रमुख प्रवृत्तियाँ हैं। बीसवीं शताब्दी के पहले पच्चीस वर्षों में इन तीनों में किसी की भी प्रधानता नहीं रही, फिर भी इस काल का साहित्य इन सभी प्रवृत्तियों की रचनाओंसे परिपूर्ण रहा है।
किन्तु द्वितीय चरण में कवि भाषा में सीधे-सादे शब्दों का बहिष्कार करने लगे। शीघ्र ही एक समृद्ध भाषा शैली का विकास होने लगा जिसमें संस्कृत तत्सम तथा तथा ध्वनि-व्यंजक शब्दों की अधिकता थी। यह आलोकमय विशेषणों तथा चित्रमय और ध्वन्यात्मक शब्दों का युग था।
प्राचीन कलात्मक आंदोलन प्रतिष्ठित रूढ़ियों और परंपराओं का परिपालन मात्र था, परंतु आधुनिक कला व्यक्तिगत प्रतिभा की व्यंजना है। रीतिकाल में प्राचीन आचार्यों द्वारा समाहित किसी गुण-विशेष अथवा अलंकार का सफल निर्वाह ही कवि की सफलता समझी जाती थी।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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