आधुनिक मनोविज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Aadhunik Manovigyan Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : आधुनिक मनोविज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : लालजीराम शुक्ल | पुस्तक का प्रकाशन किया है : साहित्य सेवक कार्यालय, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 21 MB हैं | पुस्तक में कुल 538 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Aadhunik Manovigyan. This book is written by : Laljiram Shukla. The book is published by : Sahitya Sevak Karyalaya, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 21 MB. This book has a total of 538 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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लालजीराम शुक्ल | मनोविज्ञान | 21 MB | 538 |
पुस्तक से :
यह मन का तीसरा भाग है । आधुनिक मनोविज्ञान यहीं तक पहुँचा है। उसके परे सब शक्तियों का मूल-केन्द्र, सृष्टि का रचयिता, सबका हित चाहनेवाला सर्वव्यापी मन है । जो मनुष्य इसकी आवाज को पहचान पाता है, वह कभी भी किसी प्रकार की भूल नहीं करता है। भविष्य में होनेवाली घटनाएँ बीजरूप से इस मन में पहले से ही विद्धमान रहती हैं। यह मन हमारे वैयक्तिक मन में किसी विशेष प्रकार की प्रेरणा उत्पन्न करता है।
मनुष्य सदा वातावरण के ऊपर अपनी प्रभुता स्थापित करने की चेष्टा करता है। उसकी उन्नति प्रकृति के ऊपर विजय प्राप्त करने में ही है । जो जितनी दूर तक बाह्य प्रकृति पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह उतना ही बलवान होता है। इसी प्रकार मनुष्य को अपनी आन्तरिक प्रकृति पर विजय प्राप्त करना होता है।
साधारणतः मानसिक विषमता अथवा असाधारणता उन्हीं लोगों में पाई जाती है, जो सांसारिक जीवन में असफल होते हैं। किन्तु कुछ लोग सांसारिक जीवन में सफल होते हुए भी अपने आन्तरिक जीवन में असफल होते है। अतएव उनमें असाधरणता पाई जाती है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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