अभिनव स्तोत्रावलि हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Abhinava Stotravali Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : अभिनव स्तोत्रावलि | इस पुस्तक के लेखक हैं - डॉ. शशिशेखर चतुर्वेदी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखंबा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 91 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 176 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Abhinava Stotravali. This book is written by : Dr. Shashi Shekhar Chaturvedi | The book is published by : Chaukhamba Surbharati Prakashan, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 91 MB. This book has a total of 176 pages.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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डॉ. शशिशेखर चतुर्वेदी | धार्मिक | 91 MB | 176 |
पुस्तक से :
अर्जुन और भगवान् श्रीकृष्णके बीच संवाद रूपमें प्राप्त ‘श्रीविष्णोरष्टाविंशति नामस्तोत्र'में भगवान् विष्णुके कुल अट्ठाइस नामोंका सङ्कीर्तन है। इसी कालमें महाभारत और अनेक पुराणोंके रचयिता महर्षि व्यासद्वारा रचित 'भगवतीस्तोत्रम्' स्तोत्र भी महत्त्वपूर्ण है।
महाकवि कालिदासके 'स्तोत्रं कस्य न तुष्टये' इस कथनके अनुसार संसारमें ऐसा कोई प्राणी है ही नहीं जो कि स्तुतिसे प्रसन्न न होजाय। राजनीतिक ग्रन्थोंमें भी यही बात कही गई है कि 'साम' अथवा 'स्तुति'के द्वारा राक्षस आदि भयङ्कर सत्त्वभी वशीभूत होजाते हैं।
एक ऐसी दार्शनिक विचारधाराका कश्मीरघाटी में उदय और विकास हुआ जिसे पूरा विश्व आज काश्मीर शैव दर्शनके नामसे जानता है। भारतके अन्य दर्शन जहाँ केवल भोग अथवा मोक्षका प्रतिपादन करते हैं वहीं काश्मीर शैव दर्शन भोग और मोक्ष दोनोंका प्रतिपादन करता है।
स्तोत्र ही उस भक्ति और मुक्तिका सर्वोत्तम उपाय है। महाकवि कालिदासजी ने भी 'स्तोत्रं कस्य न तुष्टये' कहकर स्तोत्रोंके महत्त्वका उल्लेख किया है। यह प्रसिद्ध है कि अपने समयका सर्वश्रेष्ठ पण्डित लंका नरेश रावण भी 'शिवताण्डवस्तोत्र'से भगवान् शंकरजी को प्रसन्नकर अपना मनोवाञ्छित फल प्राप्त करता था। अनेक विद्वानों द्वारा रचित महान् स्तोत्रोंकी श्रृंखलामें काश्मीर शैवदर्शन भी अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता हैं।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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