आदर्श गृहस्थाश्रम हिन्दी पुस्तक | Adarsh Grihasthashram Hindi Book PDF

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आदर्श गृहस्थाश्रम हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Adarsh Grihasthashram Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : आदर्श गृहस्थाश्रम | इस पुस्तक के लेखक हैं : स्वामी शुकदेवानंद | पुस्तक के प्रकाशक हैं : मुमुक्षु आश्रम, शाहजहांपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 28 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 116 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Adarsh Grihasthashram. This book is written by : Swami Shukdevanand. The book is published by : Mumukshu Ashram, Shahjahanpur. Approximate size of the PDF file of this book is 28 MB. This book has a total of 116 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
स्वामी शुकदेवानंद धर्म, समाज28 MB116



पुस्तक से : 

वेदशास्त्र और सन्तोंके मतानुसार चार आश्रमों की व्यवस्था की गई थी किन्तु आज अज्ञानवश केवल गृहस्थाश्रम ही मुख्य रह गया है शेष तीनों आश्रम गौण हो गये हैं। प्राचीन काल में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास इन चारों आश्रमोंमें मनुष्य क्रमशः उन्नत होकर परमपद का अधिकारी हो जाता था। समय के प्रवाह ने अथवा पाश्चात्य सभ्यताकी कृत्रिम चकाचौंध ने हमारे सनातन अध्यात्मवादको भौतिकवाद के स्थूल आवरण से ढाँप लिया है।

 

राजा और रंक दोनों दुःखी हैं। किंकर्त्तव्यविमूढ़ मानव अपने सुख साधन के निमित्त जितना अधिक पुरुषार्थ करता है उतना ही अधिक वह दुःख सागरमें निमग्न होकर अपने जीवन से ऊब उठता है। ऐसे समाचार सुनने को मिलते ही रहते हैं कि अमुक व्यक्तिने अमुक कारण से आत्महत्या कर ली। इस प्रकार के जघन्यपाप तक कर डालने, अनायास हाथ में आई हुई पारसमणि को व्यर्थ खो देने तथा पुनः जन्म-मरणके अनन्त दुखद प्रवाह में बहते रहने का कारण यही है कि हम अपनी प्राचीन युक्तिसंगत और मंगलमयी शिक्षाको भुला बैठे हैं.

 

 

भौतिकवाद की चकाचौंध से प्रभावित त्रिविधतापों से सन्तप्त इस युग का अधिकांश जन समुदाय इन बातों पर सहसा विश्वास नहीं कर पाता और आज यह सभी स्वप्न जैसी बातें जान पड़ती है। इस परिस्थिति को ध्यान में रखकर देशकाल के अनुसार यह छोटी सी पुस्तक 'आदर्श गृहस्थाश्रम' के रूप में के आपके सामने है। इसके द्वारा जनता-जनार्दन की यदि किंचित सेवा हो सकी तो मैं अपना परिश्रम सफल समझूंगा।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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