आगम और तंत्र शास्त्र हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Agam Aur Tantra Shastra Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : आगम और तंत्र शास्त्र | इस पुस्तक के लेखक हैं : ब्रजवल्लभ द्विवेदी । पुस्तक का प्रकाशन किया है : परिमल पब्लिकेशंस | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 36 MB हैं | पुस्तक में कुल 221 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Agam Aur Tantra Shastra. This book is written by : Brajvallabh Dwivedi. The book is published by : Parimal Publications. Approximate size of the PDF file of this book is 36 MB. This book has a total of 221 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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ब्रजवल्लभ द्विवेदी | तंत्र,धार्मिक | 36 MB | 221 |
पुस्तक से :
इतना ही कह सकते है कि आगम नामसे अभिहित होने वाली धाराका प्रादुर्भाव पहले हुआ तथा तन्त्र नाम से अभिहित होने वाली धारा का प्रादुर्भाव बाद में हुआ। यह आश्चर्य की बात है कि चार्ल्स ईलियट जैसे विद्वानों के द्वारा इन दोनों धाराओं की अनुस्यूतता पर ध्यान आकृष्ट कराये जाने पर भी भारतीय विद्याके प्राय सभी विद्वानों ने तन्त्रशास्त्रके अध्ययनके प्रसंग में आगमशास्त्र की एकदम उपेक्षा कर दी है और इसीलिए वे अनेक असंगतियोंके शिकार हो गये हैं।
इन तन्त्रों की उपलब्धि हो जाने पर ही इनके आविर्भाव कालके सम्बन्धमें कुछ कहा जा सकता है। अभी तो इतना भी नहीं कहा जा सकता कि इन सभी ग्रन्थोंका आविर्भाव एक ही समयमें हुआ अथवा नहीं। इस कालका जो भी साहित्य उपलब्ध है, उन सबके आधार पर अभी बस इतना कहा जा सकता है कि इनमें अधिकांश तन्त्र आगम ग्रन्थोंसे कुछ भिन्न प्रकृतिके हैं।
पांचरात्र और पाशुपत मत की प्राचीनताके संबंधमें अनेक विद्वानों ने प्रकाश डाला है। हेमचन्द्र राय चौधरी ने छान्दोग्य उपनिषद् पर भागवत मतके प्रभाव का बहुत अच्छे से विश्लेषण किया है। शुक्ल यजुर्वेद के शतरुद्रिय अध्यायमें तथा कृष्ण यजुर्वेद की अनेक संहिताओं में पाशुपत मतकी स्पष्ट झलक मिलती है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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