अन्नपूर्णा सहस्त्रनाम पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Annapurna Sahasranama Book
इस पुस्तक का नाम है : अन्नपूर्णा सहस्त्रनाम | इस पुस्तक के संपादक हैं : महंत विश्वनाथ पुरी जी | इस ग्रन्थ के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 14 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 37 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Annapurna Sahasranama. This book is written/edited by : Mahant Vishwanath Puri ji. The book is published by : Gita Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 14 MB. This book has a total of 37 pages.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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महंत विश्वनाथ पुरी | धर्म, भक्ति | 14 MB | 37 |
पुस्तक से :
कैलासशिखरासीनं देवदेवं महेश्वर । -प्रणम्य दंडवद्वभूमौ पार्वती परिपृच्छति ॥ १ ॥ अन्नपूर्णा महादेवी त्रैलोक्यजीवधारिणी । नाम्नां सहस्रं तस्यास्तु कथयस्व महाप्रभो ॥ २ ॥ श्रीशिव उवाच । - शृणु देवि वरारोहे जगत्कारिणि कौलिनि 1 आराधिता च सर्वेषां सर्वं त्वं परियच्छसि ॥ ३ ॥ सहस्त्रैर्नामभिर्दिव्यैस्त्रैलोक्यप्राणिपूजितैः । अन्नदायास्स्तवंदिव्यं यत्सुरैरपि वांछितम् ॥ ४ ॥
कथयामि तव नेहात्सावधानावधारय । गोपनीयं प्रयत्नेन स्तवराजमिदं शुभम् ॥ ५ ॥ न प्रकाश्यं स्वया भद्रे दुर्जनेभ्यो विशेषतः । न देयं परशिष्येभ्यो भक्तिहीनाय पार्वति ॥ ६ ॥ देयं शिष्याय शांताय गुरुदेवरताय च । अन्नपूर्णास्तवं देयं कोलिकाय कुलेश्वरि ॥ ७ ॥
ॐ अस्य श्रीमन्महाश्री अन्नपूर्णासहस्रनाम स्तोत्रमालामंत्रस्य श्री भगवान् सदाशिवऋषिरनुष्टुप् छंदः प्रकटगुप्तगुप्ततरसंप्रदायकुलोत्तीर्णनिगर्भरहस्या तिपूर्वरहस्याचित्यप्रभावा भगवती श्रीमन्महाश्री अन्नपूर्णा देवता हलो वीजं स्वराः शक्तिः जीवो बीजं बुद्धिः शक्तिः उदानो वीजं सुषुम्ना नाडी सरस्वती शक्तिः धर्मार्थकाममोक्षार्थेषु पाठे जपे विनियोगः ॥ ८ ॥
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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