आश्चर्य योगमाला तंत्र हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Ashcharya Yogmala Tantra Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : आश्चर्य योगमाला तंत्र | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित बलदेव प्रसाद | पुस्तक का प्रकाशन किया है : खेमराज श्री कृष्णदास प्रकाशन, मुंबई | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 28 MB हैं | पुस्तक में कुल 52 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Ashcharya Yogmala Tantra. This book is written by : Pandit Baldev Prasad. The book is published by : Khemraj Shri Krishnadas Prakashan, Mumbai. Approximate size of the PDF file of this book is 28 MB. This book has a total of 52 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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पंडित बलदेव प्रसाद | तंत्र-मंत्र,भक्ति,साधना | 28 MB | 52 |
पुस्तक से :
कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन पुष्य नक्षत्र में श्मशान में स्थित हो कूट और हरिताल इन दोनों औषधियों को एकत्रित करके गुटिका बनाकर तिलक करे तो तीनों लोकों को वश्यभाव का पात्र बना सकते है । अन्य साधारण मनुष्यों का तो कहना ही क्या है। कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन पुष्य नक्षत्र में श्मशान में जाकर मृतक पुरुष के नेत्र, जिह्वा, मस्तक हृदय, नासिका, इन सबके तेल को सिद्ध करके तिलक किया जाए तो राजस्त्रियों को भी वश में किया जा सकता है अन्य स्त्रियों का तो कहना ही क्या है।
अंकोल वृक्ष के बीजों के तेल से कज्जल को बनाकर गाय के घृत में मिला कर आंखों में आंजकर यदि दर्पण में देखे तो अपने पूर्व जन्म के सम्पूर्ण स्वरूप को देख सकेंगे । तगर के फल को अंकोल के तेल में मिलाकर यदि आंखो में आंजे तो दिव्य पुरुष का दर्शन होगा । यदि परिहार करना है तो केवल तगर के चूर्ण को ही नेत्रों में आंजे तो पुनः अपनी पूर्व प्रकृति प्राप्त हो जायगी ।
हलिनीवरा हवर्चः शर्वमूर्द्धजदीर्घकन्दरास्थीनि । त्रिभु बनमपि योगवरः स्फुटमुच्चाय्यति सप्ताहे ॥ मृतक पुरुषा स्थिशंकुर्मवनद्वारे निखन्यते यस्य । तस्य गृहगतविभवं भयंकरं पिशाचभवनाभम् ॥ दण्डकरपुरुष चोदितजवबिचलितदीर्घकन्दरारूढम् । सुरगुरुमपि सप्ताहाद्ध्यायन्नुच्चाटयेत् स्थानात् ।।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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