भागवत रत्न प्रहलाद - गीता प्रेस हिन्दी पुस्तक | Bhagwat Ratna Prahlad - Gita Press Hindi Book PDF

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भागवत रत्न प्रहलाद हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhagwat Ratna Prahlad Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : भागवत रत्न प्रहलाद | इस ग्रन्थ के लेखक हैं - चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद वर्मा, इंद्र नारायण द्विवेदी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 82 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 360 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Bhagwat Ratna Prahlad. This book is written by : Chaturvedi Dwarka Prasad Verma, Indra Narayan Dwivedi | The book is published by : Gita Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 82 MB. This book has a total of 360 pages.



पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेस, गोरखपुर भक्ति, धर्म82 MB360


पुस्तक से : 

भक्त-जगत् में प्रह्लाद सर्वशिरोमणि माने जाते हैं। प्रह्लादकी भक्ति में कहीं भी कामना, भय और मोह को स्थान नहीं है, उनकी भक्ति सर्वथा विशुद्ध, अनन्य और परमादर्श है। उन्हीं प्रह्लाद के चरित्र का दोनों विद्वान् लेखकों ने इस पुस्तक में चित्रण किया है। आशा है भागवतरत्न प्रह्लादके आदर्श जीवन से भारतके नर-नारी विशेष लाभ उठावेंगे।

 

भागवत दैत्यर्षि प्रह्लाद का वृत्तान्त जो अबतक मिलता है, वह पुराणों और महाभारतमें ही मिलता है। ऐसी दशा में हमको उनके आविर्भाव का समय भी उन्हीं पुराणों और महाभारतके आधार पर ठीक-ठीक मिल सकता है। अतएव हम अन्यान्य साधनों की ओर समय का अपव्यय न करके तथा भारतवर्षके प्राचीन इतिहास की अन्यान्य सामग्रियों की कालकोठरी में न जाकर महाभारत और पौराणिक साहित्य के आधार पर ही अपने चरित्रनायक के आविर्भाव का समय निश्चय करने की चेष्टा करते हैं.

 

बेटा प्रह्लाद! कहाँ तो तेरा कोमल शरीर और तेरी सुकुमार अवस्था और कहाँ उस उन्मत्त के द्वारा की हुई तुझपर दारुण यातनाएँ । ओह! यह कैसा अभूतपूर्व प्रसंग देखने में आया। प्रिय वत्स! मुझे आने में यदि देर हो गयी हो तो तू मुझ पर क्षमा कर. (-भगवान् श्रीनृसिंहदेव)

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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