भागवत स्तुति संग्रह - गीता प्रेस हिन्दी ग्रन्थ | Bhagwat Stuti Sangrah - Gita Press Hindi Book PDF

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भागवत स्तुति संग्रह हिन्दी ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhagwat Stuti Sangrah Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : भागवत स्तुति संग्रह | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं : पंडित नित्यानंद पाण्डेय | ग्रन्थ के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 372 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 700 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Bhagwat Stuti Sangrah. This book is written/edited by : Pandit Nityanand Pandey. The book is published by : Gita Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 372 MB. This book has a total of 700 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित नित्यानंद पाण्डेयधर्म, भक्ति, आध्यात्म372 MB700



पुस्तक से : 

भागवत स्तुति संग्रह पढ़ते समय कुतार्किकों के विचारों से दूषित चित्तवाले पुरुषोंके मनमें अनेकों प्रझ उठते हैं। यथा - ईश्वरके अस्तित्व में क्या प्रमाण है ? ईश्वर ही जब सिद्ध नहीं है तब उसकी स्तुति चन्ध्या-पुत्रके गुणवर्णन के समान व्यर्थ है। थोड़ी देरके लिये मान भी लिया जाय कि ईश्वर सिद्ध है तथापि उसके स्वरूपविषयक वर्णनोंमें जो श्रुतियों में प्राप्त हैं एवं जो श्रुतियोंके आधारपर दार्शनिकों के द्वारा किये गये हैं, एकता नहीं है, अतएव उसके स्वरूपका वर्णन असंगत एवं मिथ्या है।

 

प्रायः जिन्होंने भगवान्का दर्शन नहीं किया है, वे अपने आत्माकी उपलब्धिमें भी समर्थ नहीं होते अर्थात् भगवत्सत्ताको सिद्ध न करनेवाले प्रमाण अपनेको भी प्रमाणित नहीं कर सकते। इस प्रकारके स्वयं अप्रमाणित प्रत्यक्षादि प्रमाणके द्वारा भगवान् ग्राह्य ही नहीं है अर्थात् इनकी पकड़ में आ ही नहीं सकते तब विरोध करनेकी बात तो दूर ही रही। उन सम्पूर्ण प्रमाणको प्रमाणित करनेवाले, सबके प्रेरक, अपनी अनुपम तथा स्वच्छन्द लीलामें विहार करनेवाले एवं देवाधिदेव भगवान्की हम अत्यन्त श्रद्धासम्पन्न होकर शरण ग्रहण करते हैं।

 

 

इन सब शंकाओंका जबतक ठोक-ठीक समाधान न होगा तयतक श्रीमद्भागवत ग्रन्थके भीतरी विषयका विचार करना व्यर्थ-सा ही है, क्योंकि जबतक चित्त निर्मल न हो जाय तबतक ग्रन्थ के निर्दोष रहने पर भी उसमें दोष ज्ञात होते हैं। अतः हम इन शंकाओं का क्रमसे यथाशक्ति समाधान करेंगे। तदनन्तर श्रीमद्भागवतके स्तुतियोंसे सम्बन्ध रखनेवाले भीतरी विषयों पर विचार करेंगे।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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