भक्त नारी - गीता प्रेस हिन्दी पुस्तक | Bhakt Nari - Gita Press Hindi Book PDF

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भक्त नारी हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhakt Nari Hindi Book

इस ग्रन्थ का नाम है : भक्त नारी | इस ग्रन्थ के लेखक हैं - श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 14 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 82 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Bhakt Nari. This book is written by : Shri Hanuman Prasad Poddar | The book is published by : Gita Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 14 MB. This book has a total of 82 pages.



पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
हनुमान प्रसाद पोद्दार भक्ति, धर्म14 MB82


पुस्तक से : 

यह भक्त-चरित मालाका दूसरा पुष्प है, इसमें भी पाँच भक्त देवियों के उपदेशप्रद चरित्र हैं। इनमेंसे शबरी और जनावाईके चरित्र तो अन्य लेखकों के लिखे हुए हैं, शेष मीराबाई, करमैतीबाई और रबियाके चरित्रों में पहला भक्तमाल आदि अनेक ग्रन्थों और खास जानकार लोगों के द्वारा सुनी हुई बातों के आधार पर, दूसरा भक्तमालके आधार पर और तीसरा एक बंगला पुस्तक के आधार से लिखा गया है।

 

त्रेतायुग का समय है, वर्णाश्रमधर्म की पूर्ण प्रतिष्ठा है, वनों में स्थान-स्थानपर ऋषियों के पवित्र आश्रम बने हुए हैं । तपोधन ऋषियों के यज्ञधूमसे दिशाएँ आच्छादित और वेदध्वनिसे आकाश मुखरित हो रहा है। ऐसे समय दण्डकारण्य में एक पति-पुत्र-विहीना भक्ति-श्रद्धा सम्पन्ना भीलनी रहती थी, जिसका नाम था शबरी ।

 

सुभग शीतल कमल कोमल, त्रिविध ज्वाला-हरण | जिन चरण प्रह्लाद परसे, इन्द्र पदवी धरण || जिन चरण ध्रुव अटल कीन्हें, राखि अपनी शरण । जिन चरण ब्रह्माण्ड भेंट्यो नख सिखा सिरी धरण || जिन चरण प्रभु परसि लीनो तरी गोतम-घरण । जिन चरण काली-नाग नाथ्यो गोप-लीला-करण || जिन चरण गोवर्धन धारयो, गर्व मघवा हरण दासि मीरा लाल गिरधर अगम तारण तरण ||

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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