भक्त पंचरत्न - गीता प्रेस गोरखपुर | Bhakt Panchratna - Gita Press Gorakhpur PDF

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भक्त पंचरत्न हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Bhakt Panchratna Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : भक्त पंचरत्न | इस पुस्तक के लेखक हैं - श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 21 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 108 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Bhakt Panchratna. This book is written by : Shri Hanuman Prasad Poddar ji | The book is published by : Gita Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 21 MB. This book has a total of 108 pages.



पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
हनुमान प्रसाद पोद्दार  अध्यात्म, भक्ति, धर्म21 MB108


पुस्तक से : 

यह 'संक्षिप्त भक्त-चरित-माला' का तीसरा पुष्प है । भारतके भावुक नर-नारियों ने पहले और दूसरे पुष्प (भक्त बालक और भक्त नारी) की पवित्र सुगन्धको बड़े ही प्रेम और चावसे ग्रहण किया और उससे उन्हें सात्त्विक सुख मिला । यह लोगोंके पत्रोंसे सिद्ध होता है। आशा है इस पुष्पकी शुद्ध सात्त्विक सुगन्धसे भी जनताको बहुत सुख मिलेगा।

 

भक्त-पञ्चरत्न की पहली आवृत्ति बहुत जल्दी समाप्त हो गयी । कई जगह शिक्षा विभागने इस पुस्तकको पढ़ाईके लिये स्वीकार किया है तथा कुछ ही वर्षोंमें इसकी छब्बीस हजार प्रतियाँ छप गयीं । इससे मालूम होता है कि यह लोगोको अच्छी लगी है और इससे लाभ हुआ है । यह छठा संस्करण है। आशा है, जनता इससे लाभ उठावेगी ।

 

एक वृक्षमें दो फूल खिल रहे थे। इतने में ही न मालूम कहाँ से काल-कीट ने आकर उसी की जड़में वास कर लिया । हाय! उसने इन्हें खिलने भी नहीं दिया; ये थोड़ी-सी शोभा फैलाकर, तनिक-सी ही सुगन्ध वितरण कर सूखकर गिर पड़े। अब रघुनाथ ! तुम्हारे खिलने के दिन हैं, तुम खिलो। तुम भगवान्के भक्त हो – पद्मजातीय पुष्प हो; दुःख- दारिद्र्यके प्रचण्ड सूर्य-तापमें ही तुम्हें खिलना होगा; तुम प्रस्फुटित होओ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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