बृहज्जातकम् - आचार्य वराह मिहिर हिन्दी पुस्तक | Brihajjatakam - Acharya Varaha Mihira Hindi Book PDF

 

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बृहज्जातकम् हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Brihajjatakam Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : बृहज्जातकम् | इस पुस्तक के लेखक हैं - आचार्य वराह मिहिर | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : रंजन पब्लिकेशंस | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 642 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 400 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Brihajjatakam. This book is written by : Acharya Varaha Mihira | The book is published by : Ranjan Publications. Approximate size of the PDF file of this book is 642 MB. This book has a total of 400 pages.



पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
आचार्य वराह मिहिर ज्योतिष,धार्मिक642 MB400


पुस्तक से : 

इन सब बातों का प्रश्न व जातक में प्रयोग करना चाहिए। सत्त्वरजस्तमोगुण से भी जातककी प्रकृति का निश्चय होता है। मन, कर्म और वचन की पवित्रता, आचारवान, परोपकार की उदात्त भावना वाला व्यक्ति सत्त्वगुणी बहुत बोलने वाला, वीर, दम्मी, भौतिक सुखी, अभिमानी, क्रोधी लेकिन स्वच्छ, राजसी तथा हर समय निद्रा व आलस्य से युक्त द्ररिद्री, कुचैला तमोगुणी होता है।

 

यदि मंगल बलवान् हो तो लाल रंगकी वस्तुओंका व्यापार करना फायदेमंद होता है। प्रश्न विचार में लाल रंगकी वस्तु से प्रश्नको सम्बद्ध समझना चाहिए। इसी प्रकार अन्य ग्रहोंसे विचार करें। यह एक आधारभूत नियम है, इससे अन्तिम व व्यापक निर्णय नहीं करना चाहिए। ग्रहकी पूजा करने में उस रंगके फूल का प्रयोग करें। सूर्य का स्वामी अग्नि को बताया है।

 

बृहस्पति यदि निर्बल राशि में हो तो भी क्रमानुसार रुद्र, विष्णु या दुर्गाकी आराधना करनी चाहिए। रुद्रभट्ट कहते हैं कि क्रूर राशिमें गुरु होने पर हर पूजा, शुभ क्षेत्रमें हरिपूजा तथा युग्म राशिमें दुर्गा की, क्रूर व सम राशि में काली आदि की तथा शुभ समराशि में महालक्ष्मी आदि की पूजा करनी चाहिए।

 

एते सप्त स्वयं स्थित्वा देहं दधति यन्नृणाम्।देवाम्ब्वग्नि विहार कोशशयनक्षित्युत्कराः स्युः क्रमाद, वस्त्रं स्थूलमभुक्तमग्निकहतं मध्यं दृढं स्फाटितम्। ताम्रं स्यान्मणिहेमशुक्तिरजतान्यर्कात्तु मुक्तायसी, ट्रेक्काणैः शिशिरादयः शशुरुचझग्वादिषूद्यत्सु वा।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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