वृहद स्तोत्र रत्नाकर - संस्कृति संस्थान बरेली | Brihat Stotra Ratnakar - Sanskriti Sansthan Bareilly PDF

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वृहद स्तोत्र रत्नाकर हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Brihat Stotra Ratnakar Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : वृहद स्तोत्र रत्नाकर | इस पुस्तक के लेखक हैं - डॉ चमनलाल गौतम | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : संस्कृति संस्थान, बरेली | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 334 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 472 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Brihat Stotra Ratnakar. This book is written by : Dr Chamanlal Gautam | The book is published by : Sanskriti Sansthan, Bareilly. Approximate size of the PDF file of this book is 334 MB. This book has a total of 472 pages.



पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ चमनलाल गौतम  अध्यात्म, भक्ति, धर्म334 MB472


पुस्तक से : 

प्रायः लोगों की यह धारणा रहती है कि देवी-देवताओंकी स्तुति करना न ही युक्ति संगत और न ही कोई शक्तिशाली साधना जिससे किसी विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति होती सम्भव हो । वास्तव में इस धारणा में कोई सार नहीं है। यह ठीक है कि दैवी शक्तियां शरीरधारी नहीं होती है, वह किसी की निन्दा अथवा स्तुति से प्रभावित नहीं होती है।

 

स्तोत्र पाठ का अभिप्राय यह है कि साधक उस दैवी शक्ति के किन्ही विशिष्ट असाधारण गुणों से परिचित है, उनकी ओर वह आकर्षित है, उनका सम्मान करता है और अपने में विकसित करने का आकांक्षी है और उस देवीशक्ति के निरन्तर सान्निध्य में रहना चाहता है। किसी दैवीशक्ति के सामीप्य की अनुभूति करने का अर्थ है स्वयं उस सांचे में ढलते रहना, शक्ति सम्पन्न होते जाना.

 

स्तोत्र मन्त्रवत होते हैं। ध्वनि समूह को मन्त्र कहते हैं। मन्य को सफलता उसके शुद्ध उच्चारण में है, तभी उनमें गुथे शब्दों का प्रभाव विभिन्न शक्ति केन्द्रों पर पड़ता सम्भव होता है। मन्त्र की सफलता में भावना का भी महत्वपूर्ण स्थान है। श्रद्धा और विश्वास इसके मेरुदण्ड हैं। चूँकि स्तोत्र मन्त्रवत होते हैं इसलिए स्तोत्रों से मन्त्रों जेसे लाभ होते हैं। अतः स्तोत्र साधना उसी श्रद्धा से करनी चाहिए ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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