चिन्ता हरण जंत्री हिन्दी पुस्तक | Chinta Haran Jantri Hindi Book PDF

 

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चिन्ता हरण जंत्री हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Chinta Haran Jantri Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : चिन्ता हरण जंत्री | इस पुस्तक के लेखक हैं - पंडित बचान प्रसाद त्रिपाठी | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : ठाकुर प्रसाद एंड सन्स, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 132 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 174 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Chinta Haran Jantri. This book is written by : Pandit Bachan Prasad Tripathi | The book is published by : Thakur Prasad And Sons, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 132 MB. This book has a total of 174 pages.



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पंडित बचान प्रसाद त्रिपाठी ज्योतिषी, धार्मिक132 MB174


पुस्तक से : 

जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता। गो-द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधु-सुता प्रिय कंता। पालन सुर-घरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई। जो सहज कृपाला दोनदयाला करड अनुग्रह सोई।

 

प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जयिनी और नासिक इन चारोंमें से प्रत्येक स्थान पर प्रायः हर बारहवें वर्ष विशिष्ठ ग्रहयोगवशात् कुम्भ महापर्व पड़ा करता है। इस परम पवित्र पर्वका उल्लेख वेदों तकमें मिलनेसे यह सिद्ध होता है कि यह वैदिक सनातन धर्मका अत्यन्त प्राचीन महान् पर्व है।

 

मनुष्य अपने सच्चिदानन्द स्वरूपको भूल कर संसारमें अनेक प्रकारके कष्ट सहता है और अविद्याके कालपाशमें आबद्ध होकर रह जाता है। प्राणीमात्र "प्रार्थना" के माध्यमसे आत्म-शान्ति प्राप्त करता है तथा अपने हृदयस्य चेतन केन्द्रमें अवस्थित होकर चिर कालके लिए मुक्तहो जाता है।

 

अधिक मास को 'मलमास' तथा 'पुरुषोत्तम मास' भी कहा जाता हैं । 'मलमास' के रूपमें निन्दित इस मासको भगवान पुरुषोत्तमने अपना नाम दिया है कहा है कि इसके नामसे सारा जगत पवित्र होगा। मेरी सोदृश्यता प्राप्त कर यह मास अन्य सब मासोंका अधिपति होगा। पुरुषोत्तम मासमें नियमसे रहकर भगवान्की विधिपूर्वक पूजा करनेसे भगवान अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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