दीपवंस - स्वामी द्वारिकादास शास्त्री हिन्दी पुस्तक | Deepvansa - Swami Dwarikadas Shastri Hindi Book PDF

 

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दीपवंस हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Deepvansa Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : दीपवंस | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं - स्वामी द्वारिकादास शास्त्री | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : बौद्ध आकर ग्रंथमाला, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 157 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 376 पृष्ठ हैं | इस पेज पर आगे "दीपवंस" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.

Name of the book is : Deepvansa. This book is written/edited by : Swami Dwarikadas Shastri | The book is published by : Bauddha Aakar Granthamala, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 157 MB. This book has a total of 376 pages. The download link of the book "Deepvansa" has been given further on this page from where you can download it for free.


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स्वामी द्वारिकादास शास्त्री धार्मिक157 MB376



पुस्तक से : 

भारत के सांस्कृतिक इतिहासमें दीपवंस का महत्व सर्वमान्य है, फिर भी हिन्दीभाषी जिज्ञासुओं के लिये इसका हिन्दी रूपान्तर आज तक अनुपलब्ध रहा। ऐसे कार्योंका गुरुतर दायित्व निर्वहन करनेवाली संस्थाओं ने भी इधर उदासीनता ही दिखलायी है।

 

पालिवाङ्मय में वंश-साहित्य के ग्रन्थ ही इतिहास ग्रन्थोंके रूप में प्रसिद्ध है । त्रिपिटक एवं उसकी अट्ठकथाओं में भगवान् बुद्धके विषय में तो यथाप्रसङ्ग सामग्री मिलती है, परन्तु आजकी भाषा में जिसे 'इतिहास' कहा जाता है, वह तो वंश साहित्य की ही परिधिमें आता है ।

 

पालि-साहित्य पर अच्छे अनुसन्धान भी हुए हैं और हो भी रहे हैं जिन पर विद्वान् गर्व कर सकते हैं। आज भी यह खेदका ही विषय है कि विद्वानोंका ध्यान अभी तक त्रिपिटक एवं उसकी अट्ठकथाओं तक ही केन्द्रित रहा और उन्होंने पालिवाङ्मय में इतिहास पक्षकी उपेक्षा की।

 

 

दीपवंस के रचनाकारका नाम अभी तक इतिहासविदों द्वारा प्रमाणित नहीं हो सका है। वे इसे अज्ञात लेखककी रचना मानते हैं। यह श्रीलङ्का के उस कालकी रचना है जब कोई भी रचना किसी व्यक्तिविशेष के नामसे नहीं की जाती थी, अपितु किसी मत या सम्प्रदाय के नाम से की जाती थी। यह स्पष्ट ही है कि 'दीपवंस' इस मत या सम्प्रदाय का इतिहास रूप में वर्णन करने वाली प्राचीनतम रचना है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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