दुर्गा आराधना हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Durga Aradhana Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : दुर्गा आराधना | इस पुस्तक के लेखक हैं : अज्ञात | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : रजौरी इन्वेस्टमेंट एंड सेविंग कारपोरेशन, रजौरी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 39 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 84 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Durga Aradhana. Author of this book is : Unknown. The book is published by : Rajouri Investment and Saving Corporation. Approximate size of the PDF file of this book is 39 MB. This book has a total of 84 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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अज्ञात | भक्ति, धर्म | 39 MB | 84 |
पुस्तक से :
जय जय त्रिभुवन वन्दिनी, गिरि नन्दिनी हे, गिरि नन्दिनी हे। असुर निकन्दिनी मातु, जय जय जय शम्भु प्रिये ।। त्रिभुवन शक्ति निज धारिणी, शुभ कारिणी हे, शुभ कारिणी हे। भक्त उबाकर मातु, जय जय शम्भु प्रिये ।। असुर संहारिणी, सुरतारिणी हे, सुरतारिणी हे। महिष विदारिनि मातु, जय जय शम्भु प्रिये।
शुम्भ-निःशुम्भ विभंजनि, रिपु गंजनि हे, रिपु गंजनि हे। शिव मन रंजन मातु, जय जय शम्भु प्रिये ।। धारनी धर वरदायिनी, वरदायिनी हे वरदायिनी हे। मृग रिपु वाहन मातु, जय जय शम्भु प्रिये ।। भूल चूक सब कर क्षमा, करुणामयी हे, करुणामयी हे। मम शिर पर रख हाथ मातु, जय जय शम्भु प्रिये ।।
रूप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ॥ तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ॥ रूप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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