गजेंद्र मोक्ष (भाषा टीका सहित) ग्रन्थ | Gajendra Moksha (with Hindi Translation) PDF

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गजेंद्र मोक्ष (भाषा टीका सहित) ग्रन्थ के बारे में अधिक जानकारी | More details about Gajendra Moksha (with Hindi Translation) Book

इस ग्रन्थ का नाम है : गजेंद्र मोक्ष (भाषा टीका सहित) | इस पुस्तक के मूल रचनाकार हैं : महर्षि वेदव्यास. इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : भार्गव पुस्तकालय, वाराणसी. इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 48 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 54 पृष्ठ हैं |

Name of the book is: Gajendra Moksha (with Hindi Translation) | This book is written by : Maharshi Vedvyas. This book is published by : Bhargav Pustakalaya, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is: 48 MB. This book has a total of 54 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
महर्षि वेदव्यासधर्म, भक्ति, आध्यात्म48 MB54


पुस्तक से 

शतानीक बोले- हे सुव्रत! तुमसे मैंने अतुल तेजवाले देवन के देव विष्णु भगवानके सम्पूर्ण ऐश्वर्य और गुणों को सुने ॥ हे भगवन् | तुम यदि प्रसन्न हो और मुझ पर अनुग्रह किया चाहते हो तो मनुष्यों के दुःस्वप्न (बुरे स्वप्नफल की) नष्टकारक (इतिहासादिक को) मैं सुनना चाहता हूँ ॥

 

संपूर्ण रत्न से संयुक्त श्रीमान् त्रिकूटनामक पर्वत था जो सूर्यके समान कांतिवाले पर्वतराज सुमेरु का पुत्र था॥ वहाँ क्षीरसागर के जल की लहरों के अग्रभाग से धोई हुई स्वच्छ शिलातलवाला तथा देवर्षिगणों से सेवित वह पर्वत समुद्र को भेद करके ऊपर को उठा हुआ है ॥ अप्सराओं से संयुक्त शोभावाला, झरनों से संयुक्त, गंधर्व, किन्नर, यक्ष, सिद्ध, चारण, पद्मग, दिव्यसर्प आदि से, मृग, बानर, सिंह, मदोन्मत्त हस्ती, भेड़िया, शूकर इत्यादिकोंसे संयुक्त वह पर्वत विराजमान है ॥ अनेक प्रकार की धातुओं से चिह्नित तथा जल के झरने वाले शिखरों से सब तरफ से शोभित है जीवक पक्षियोंसे कुंजित और मयूरों से शब्दित है ॥

 


ऐसे उस स्थान की कृतघ्न और हिंसा करनेवाले और नास्तिक तथा तपस्या न करनेवाले पापिष्ठ लोग नहीं देखते ॥ जिन्होंने गोविन्द भगवानकी आराधना नहीं की हो, ऐसे मनुष्य इस पर्वतको नहीं देखते इस पर्वत के पृष्ठ पर सुवर्ण कमलों से युक्त और कारण्डव पक्षियों से व्याप्त तथा हंसों से युक्त और मत्तभ्रमरों से सेवित तथा चकवा और मयूरों के शब्दों निनादित ॥ और अनेक प्रकार के सूर्यविकासी और चन्द्रविका कमलों से शोभायमान ऐसा मनोहर सरोवर था ॥

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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