गरुड़ पुराण सारोद्धार हिन्दी पुस्तक | Garud Puran Saroddhar Hindi Book PDF

                                   

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गरुड़पुराण सारोद्धार हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Garud Puran Saroddhar Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : गरुड़पुराण सारोद्धार | इस पुस्तक के लेखक/प्रकाशक हैं : गीता प्रेस, गोरखपुर । इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 3 MB हैं | पुस्तक में कुल 275 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Garud Puran Saroddhar. This book is written/published by : Geeta Press, Gorakhpur. Approximate size of the PDF file of this book is 3 MB. This book has a total of 275 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
गीता प्रेसभक्ति,धर्म,पुराण3 MB275



पुस्तक से : 

सैकड़ों करोड़ कल्प बीत जानेपर भी बिना भोग किये कर्मफलका नाश नहीं होता और जबतक वह पापी जीव यातनाओंका भोग नहीं कर लेता, तब तक उसे मनुष्य शरीरकी प्राप्ति भी नहीं होती है। हे पक्षी ! इसलिये पुत्रको चाहिये कि वह दस दिनों तक लगातार पिण्डदान करे। हे पक्षिश्रेष्ठ ! वे पिण्ड प्रतिदिन चार भागोंमें बटें होते हैं। उनमें दो भाग तो प्रेतके देहके पंचभूतों की पुष्टिके लिये होता हैं तथा तीसरा भाग यमदूतोंको प्राप्त होता है और चौथे भागसे उस जीवको आहार प्राप्त होता है।

 

उस समय दोनों हाथों में पाश और दण्ड धारण किये, दाँतों को कटकटाते हुए क्रोधपूर्ण नेत्रवाले यम के दो भयंकर दूत समीपमें आते हैं। उनके केश ऊपर की ओर उठे होते हैं, वे कौए के समान काले होते हैं और टेढ़े मुखवाले होते हैं तथा उनके नाखून आयुध की भाँति होते हैं। उन्हें देखकर भयभीत हृदयवाला वह मरणासन्न प्राणी मल मूत्रका विसर्जन करने लगता है।

 

 

हे तार्क्ष्य! जो प्राणी सदा पापपरायण हैं, दया और धर्मसे से विमुख हैं, जो दुष्ट लोगोंकी संगति में हैं, सत्-शास्त्र और सत्संगति से विमुख हैं, जो अपनेको स्वयंप्रतिष्ठित मानते हैं, अहंकारी हैं तथा धन और मान के मदसे चूर हैं, आसुरी शक्ति को प्राप्त हैं तथा दैवी सम्पत्ति से रहित हैं, जिनका चित्त अनेक विषयों में आसक्त होने से भ्रान्त है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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