गायत्री का स्वरूप और रहस्य - श्रीराम शर्मा आचार्य | Gayatri ka Swaroop aur Rahasya - Shriram Sharma Acharya PDF

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गायत्री का स्वरूप और रहस्य हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Gayatri ka Swaroop aur Rahasya Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : गायत्री का स्वरूप और रहस्य | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं - पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, गायत्री तपोभूमि, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 2 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 34 पृष्ठ हैं | इस पेज पर आगे "गायत्री का स्वरूप और रहस्य" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.


Name of the book is : Gayatri ka Swaroop aur Rahasya. This book is written/edited by : Pandit Shriram Sharma Acharya | The book is published by : Yug Nirman Yojana Vistar Trust, Gayatri Tapobhumi, Mathura. Approximate size of the PDF file of this book is 2 MB. This book has a total of 34 pages. The download link of the book "Gayatri ka Swaroop aur Rahasya" has been given further on this page from where you can download it for free.


पुस्तक के संपादकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्रीराम शर्मा आचार्य धर्म, अध्यात्म2 MB34



पुस्तक से : 

किसी भी जाति, प्राणधारीको लीजिए, उसकी सूक्ष्म और स्थूल, बाहरी और भीतरी क्रियाओं और कल्पनाओंका गम्भीर एवं वैज्ञानिक विश्लेषण कीजिए, प्रतीत होगा कि इन्हीं चार क्षेत्रोंके अन्तर्गत उसकी समस्त चेतना परिभ्रमण कर रही है (१) ऋक् कल्याण, (२) यजुः पौरुष, (३) साम क्रीड़ा, (४) अथर्व

 

क्रीड़ा, विनोद, मनोरंजन, संगीत, कला, साहित्य, स्पर्श, इन्द्रियोंके स्थूल भोग तथा उन भोगोंका चिन्तन, प्रिय-कल्पना, खेल, गतिशीलता, रुचि, तृति आदि को 'साम' के अन्तर्गत लिया जाता है। धन-वैभव, वस्तुओंका संग्रह, शस्त्र, औषधि, अन्न, वस्त्र, धातु, गृह, वाहन आदि सुख साधनोंकी सामग्रियाँ अथर्व की परिधिमें आती हैं।

 

वर्तमान कालके वैज्ञानिक पञ्च तत्त्वोंकी सीमा तक सीमित स्थूल प्रकृतिके साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए बड़ी-बड़ी कीमती मशीनोंका विद्युत्, वाष्प गैस, पेट्रोल आदि का प्रयोग करके कुछ आविष्कार करते हैं और थोड़ा-सा लाभ उठाते हैं। यह तरीका बड़ा श्रमसाध्य और समय साध्य है।

 

क्रिया दोनों सृष्टि में है। प्राणमय चैतन्य सृष्टिमें अहंभाव, संकल्प और प्रेरणा की गतिविधियाँ विविध रूपों में दिखाई देती हैं। भूतमय जड़ सृष्टिमें शक्ति, हलचल और सत्ता इन आधारों के द्वारा विविध प्रकारके रंग-रूप, आकार-प्रकार बनते-बिगड़ते हैं। जड़ सृष्टिका आधार परमाणु और चैतन्य सृष्टिका आधार संकल्प है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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