गायत्री महाविज्ञान - श्रीराम शर्मा आचार्य हिन्दी पुस्तक | Gayatri Mahavigyan - Shri Ram Sharma Acharya Hindi Book PDF

                                   

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गायत्री महाविज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Gayatri Mahavigyan Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : गायत्री महाविज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : श्रीराम शर्मा आचार्य । पुस्तक का प्रकाशन किया है : युग निर्माण योजना विस्तार ट्रस्ट, मथुरा | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 56 MB हैं | पुस्तक में कुल 220 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Gayatri Mahavigyan. This book is written by : Shri Ram Sharma Acharya. The book is published by : Yug Nirman Yojana Vistar Trust, Mathura. Approximate size of the PDF file of this book is 56 MB. This book has a total of 220 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
श्रीराम शर्मा आचार्यभक्ति,धर्म,आध्यात्म56 MB220



पुस्तक से : 

महाभारत और लंका युद्ध में जो अस्त्र-शस्त्र प्रयोग हुए थे, उनमें से बहुत कम ही का धुँधला रूप अभी सामने आया है। रडार, गैस बम, अश्रु-बम, रोग कीटाणु बम, परमाणु बम, मृत्यु किरण आदि का धुँधला चित्र ही अभी तैयार हो पाया है। प्राचीनकाल में मोहक शस्त्र, ब्रह्मपाश, नागपाश, वरुणास्त्र, आग्नेय बाण, शत्रु को मारकर तरकस में लौट आने वाले बाण आदि प्रयोग होते थे। ऐसे अस्त्र-शस्त्र किन्हीं कीमती मशीनों से नहीं बल्कि मन्त्र बल से चलाये जाते थे, जो शत्रु को ढूँढ़कर उसका संहार करते थे।

 

बौद्धिक निर्बलता हो तो साहित्य, काव्य, दर्शन, मनन, चिन्तन का रस प्राप्त नहीं हो सकता। आत्मिक निर्बलता हो तो सत्संग, प्रेम, भक्ति आदि का आत्मानंद दुर्लभ है। इतना ही नहीं, निर्बलों को मिटा डालने के लिए प्रकृतिका 'उत्तम की रक्षा' सिद्धांत काम करता है। कमजोर को मिटाने के लिए अनेकों तथ्य प्रकट हो जाते हैं। निर्दोष, भले और सीधे-साधे तत्त्व भी उसके विरुद्ध हो जाते हैं।

 

 

शब्दों का ध्वनि प्रवाह कोई साधारण चीज नहीं हैं। शब्द-विद्या के आचार्य जानते हैं कि शब्द में कितनी शक्ति छुपी हैं और उसकी अज्ञात गतिविधि के द्वारा क्या-क्या परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं? शब्द को ब्रह्म कहा गया है। ब्रह्म की स्फुरणा कम्पन उत्पन्न करती है। वह कम्पन ब्रह्म से टकराकर ॐ ध्वनि के रूप में सात बार ध्वनित होता है। 

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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