ज्ञानयोग पर प्रवचन - स्वामी विवेकानंद पुस्तक | Gyanyog par Pravachan - Swami Vivekananda Book PDF

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ज्ञानयोग पर प्रवचन हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Gyanyog par Pravachan Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : ज्ञानयोग पर प्रवचन | इस पुस्तक के लेखक हैं - स्वामी विवेकानंद | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : रामकृष्ण मठ, नागपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 19 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 56 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Gyanyog par Pravachan. This book is written by : Swami Vivekananda | The book is published by : Ramkrishna Math, Nagpur. Approximate size of the PDF file of this book is 19 MB. This book has a total of 56 pages.


पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
स्वामी विवेकानंद  धर्म, अध्यात्म19 MB56



पुस्तक से : 

स्वामीजी ने ज्ञानयोग का विवेचन उपनिषद् तथा भगवद्गीता के आधार पर किया है और इस प्रकार इन प्रवचनों में उन्होंने यह स्पष्ट दर्शाया है कि ज्ञानयोग साधक को किस तरह मुक्ति के लक्ष्य की ओर ले जाता है। साथ ही उन्होंने यह भी बड़े सरल ढंग से बतला दिया है कि ज्ञानयोग के मार्ग में सफल होने के लिए किन गुणों तथा साधना की आवश्यकता है। 

 

योग का अर्थ है, मनुष्य और ईश्वर को जोड़ने की पद्धति. इतना समझ लेने के बाद आप मनुष्य और ईश्वरकी अपनी परिभाषाओं के अनुसार चल सकते हैं। और आप देखेंगे कि योग शब्द हर परिभाषा के साथ ठीक बैठ जाता है। सदा याद रखिये कि विभिन्न मानसों के लिए विभिन्न योग है और यदि एक आपके अनुकूल नहीं होता तो दूसरा हो सकता है।

 

स्वामी विवेकानन्दजी ने अमरीकामें रहते समय ज्ञानयोग पर कुछ प्रवचन दिये थे जो उनकी एक शिष्या कुमारी एस्. ई. वाल्डो ने लिपिवद्ध कर लिये थे। तत्पश्चात् स्वामीजी के गुरुभाई स्वामी सारदानन्द सन् १८९६ में जब वेदान्तप्रचार हेतु अमरीका गये तब उन्होंने ये प्रवचन कु. वाल्डो की नोटबुक से लिख लिये। इन प्रवचनोंके साथ स्वामी विवेकानन्द जी के अन्य दो प्रवचनों 'ज्ञानयोग का परिचय' तथा 'ज्ञानसाधना' का सारांश सम्मिलित कर प्रस्तुत पुस्तक "ज्ञानयोग पर प्रवचन" सहर्ष पाठकोंके सम्मुख रख रहे हैं।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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