जैन तंत्र शास्त्र हिन्दी पुस्तक | Jain Tantra Shastra Hindi Book PDF

                                   

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जैन तंत्र शास्त्र हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Jain Tantra Shastra Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : जैन तंत्र शास्त्र | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित राजेश दीक्षित । पुस्तक का प्रकाशन किया है : दीप पब्लिकेशन, आगरा | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 3 MB हैं | पुस्तक में कुल 193 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Jain Tantra Shastra. This book is written by : Pandit Rajesh Dixit. The book is published by : Deep Publication, Agra. Approximate size of the PDF file of this book is 3 MB. This book has a total of 193 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
पंडित राजेश दीक्षिततंत्र-मंत्र3 MB193



पुस्तक से : 

सर्वप्रथम प्रदर्शित चित्र के यन्त्र को किसी भी धातु के पत्र पर खुदवाले। एक लकड़ीकी   चौकी पर रेशमी वस्त्र बिछाकर, उसपर यन्त्रको रखकर प्राण प्रतिष्ठा करें । फिर यन्त्र के ऊपर श्री पद्मप्रभ तीर्थकर की मूर्ति स्थापित करके पञ्चामृत अभिषेक से यन्त्र-पूजा करे तथा पुष्पों द्वारा पूर्वोक्त श्री पद्मप्रभ तीर्थंकर के अनाहत मन्त्र का तीनों संध्या कालमे जप करें। प्रत्येक मन्त्र जप के साथ एक-एक पुष्प मूर्ति के समीप रखते जाए। मन्त्रका जप किसी भी शुभ दिन में किया जा सकता है।

 

मन्त्र के उच्चारण से उत्पन्न हुई तरंगोंकी आकृति की रचना ही यन्त्र का प्रतिरूप है। चांदी, ताम्र आदि पर लिखित मन्त्र स्वरूप को ही यन्त्र कहा जाता है। वह मंत्रको स्मरण कराने का साधन होता है। यथार्थ मे ध्वन्यात्मक उच्चारण से, आकाश में स्थित वायुके माध्यम से, कम्पायमान तरंगों जो आकृति रचित होती है, उसका जो ज्ञान स्वात्मज्ञान के द्वारा होगा, वही उस यन्त्र द्वारा भी प्राप्त होता है।

 

 

प्रत्येक तीर्थकरकी मूर्ति एक जैसी ही होती है, उनके निह्नों के द्वारा ही उनकी अलग-अलग पहचान की जाती है। किस तीर्थकर का कौन-सा चिह्न है, इसका उल्लेख विस्तार से किया गया है। अतः जब भी किसी तीर्थकर के मन्त्र का साधन करें तब उन्ही की विशिष्ट चिह्न युक्त मूर्ति का पूजन में प्रयोग करना चाहिए।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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