काशी गौरव हिन्दी पुस्तक | Kashi Gaurav Hindi Book PDF

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काशी गौरव हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kashi Gaurav Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : काशी गौरव | इस पुस्तक के लेखक हैं : ब्रह्मनिष्ठ स्वामी शिवानंद सरस्वती | पुस्तक के प्रकाशक हैं : ब्रह्मनिष्ठ स्वामी शिवानंद सरस्वती, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 318 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 268 पृष्ठ हैं |

Name of the book is : Kashi Gaurav. This book is written by : Swami Shivanand Saraswati. The book is published by : Swami Shivanand Saraswati, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 318 MB. This book has a total of 268 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
स्वामी शिवानंद सरस्वतीधर्म, भक्ति, संस्कृति318 MB268



पुस्तक से : 

हे काशी विश्वनाथजी! आप तो तीनों लोकोंके स्वामी हैं। मैं आपको कुछ समर्पित करना चाहता हूँ। किन्तु क्या समर्पित करूँ! आप तो तीनों लोकोंके प्राणियोंको मोक्ष देने वाले हैं। जब तक प्राणी इस संसार में जीवित रहता है, तब तक इस संसारके सभी भोग्य पदार्थोंको देकर सुख और शान्ति प्रदान करते हैं और अन्त में मोक्षकी भिक्षा भी देते हैं। हे काशी विश्वनाथ जी! मैं यति हूँ। मेरे पास तो केवल मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार हैं। इसे मैं आपके कमलवत् श्रीचरणों में समर्पित करता हूँ।

 

काशी में निवास करने वाले सभी सन्तजनों सुनो- काशीके माहात्म्य की कथा को सुनने के लिये सन्तों के बीच में स्वयं भगवान् मधुसूदनजी भी उपस्थित रहते हैं। काशी की महिमा को श्रवण करने से क्यों भगवान् कृष्णजी का साक्षात्कार नहीं होगा? अर्थात् अवश्य होगा। काशी की कथा नाना प्रकारके सभी अंगों से युक्त है तथा उत्कृष्ट आनन्द देने के साथ ही सांसारिक दुःखोंको नष्ट करने वाली काशी माहात्म्य की कथा है।

 

 

काशी में निवास करने वालोंका मोक्ष भिक्षा देने के लिए भगवान (विश्वनाथ जी) शंकर सदा प्रतीक्षा करते हैं कि हमारे द्वार पर यह मोक्ष-भिक्षुक कब आयेगा, उस मोक्षकी भिक्षा माँगने वाले अतिथि का मैं कब दर्शन करूँगा, हे अन्नपूर्णे! जब तक भिक्षा माँगने वाला अतिथि नहीं आयेगा तब तक मैं भोजन नहीं करूँगा। जैसे पारसमणि से स्पर्श होने पर लोहा भी सोना बन जाता है। उसी प्रकार काशीमें शिवजी के सान्निध्य से जीवमात्र ब्रह्मरूप हो जाता है।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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