काशी माहात्म्य पंचकोशी यात्रा सहित हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kashi Mahatmya Panchakoshi Yatra Sahit Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : काशी माहात्म्य पंचकोशी यात्रा सहित | इस पुस्तक के लेखक हैं : गुल्लु प्रसाद केदारनाथ बुक्ससेलर | पुस्तक के प्रकाशक हैं : गुल्लु प्रसाद केदारनाथ बुक्ससेलर, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 24 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 20 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Kashi Mahatmya Panchakoshi Yatra Sahit. This book is written by : Gullu Prasad Kedarnath. The book is published by : Gullu Prasad Kedarnath Bookseller, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 24 MB. This book has a total of 20 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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गुल्लु प्रसाद केदारनाथ | धर्म, भक्ति, आध्यात्म | 24 MB | 20 |
पुस्तक से :
एक समय में नर्मदा नदी के तटपर आनन्द पूर्वक बैठे हुए भृगु मुनि से लोमशादि ऋषियों ने श्री काशी क्षेत्र का माहात्म्य पूछा तब सहर्ष भृगु मुनि ने वर्णन किया कि हे मुनि श्रेष्ठ ! श्री काशी यह धाम प्रति उत्तम है कि जहांपर श्री विश्वनाथ यह आदिलिंग शिवजीका स्थित है कि जिसके प्रभावसे काशीजीमें पापात्मा कोई भी जीव शरीरको त्यागता है उसको निसन्देह मुक्ति पदवी प्राप्त होती है। काशी यह शब्द उच्चारण करने वाले पुरुषके पापरूपी पहाड़ नाश होकर ज्ञानकी प्राप्ति होती है और ज्ञानके प्राप्त होने से उसे मोक्ष अवश्य मिलता है. धन्य है वह पुरुष जो निरन्तर काशीधाम में बास करते हैं।
भृगु मुनि ने कहा कि हे ऋषियों ! जिस काशी में पतितोद्धारिणी श्री गंगाजी और मणिकर्णिका कुण्ड श्री साक्षात् आदिशिवलिंग विश्वनाथजी विराजमान हैं उस काशीके माहात्म्य को मैं क्या कह सकता हूं. जिस पुरुष ने काशी में बस करके कोई पापकर्म किया उसको तीन हजार वर्ष रुद्रपिशाच होना पड़ता है इसलिये काशीमें रहकर सदैव धर्म का आचरण करे.
इतने ही के अन्दर में मौन ऋषि भी काशी में आये थे सो माण्डव्य और बलि ने मौन को देखकर पूजन करके मणिकर्णिका में स्नान कर श्रीविश्वनाथजीका दर्शन करके काशी माहात्म्य पूछा तो मौन मुनिने भलीभांति मोक्षपददायिनीकाशी जी का माहात्म्य वर्णन किया कि हे बलि! जो पुरुष काशी में धर्म करता हुआ सदैव बास करता है उसको मोक्ष अवश्यही मिलता है और जो कोई पापकर्म करता है उसको अवश्य ही भैरवीयातना भोगनी पड़ती है.
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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