किशोर मनोविज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Kishor Manovigyan Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : किशोर मनोविज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : उषा भार्गव | पुस्तक का प्रकाशन किया है : राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 8 MB हैं | पुस्तक में कुल 324 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Kishor Manovigyan. This book is written by : Usha Bhargav. The book is published by : Rajasthan Hindi Granth Akadami, Jaipur. Approximate size of the PDF file of this book is 8 MB. This book has a total of 324 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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उषा भार्गव | मनोविज्ञान | 8 MB | 324 |
पुस्तक से :
किशोर की छवि के सम्बन्ध में समाज के विचारों में पर्याप्त भिन्नता उपलब्ध है। एक ओर किशोर के अनेक कटु आलोचक है तो वहीं दूसरी ओर किशोर के प्रशंसको की भी कोई कमी नहीं है। प्राचीन काल से ही किशोर को निन्दा व प्रशंसा दोनो प्राप्त हुई हैं। अधिकांश प्रौढ़ समकालीन किशोरो को भटकी हुई पीढ़ी का मानते है । सुकरात की मान्यता थी कि किशोर अपने से बड़ों का सम्मान नही करना, कार्य की अपेक्षा बातें करना अधिक पसन्द करता है।
जीव विज्ञान के अनुसार शारीरिक विकास की दृष्टि से किशोरावस्था, यौवनारम्भ से लेकर वयस्कता प्राप्त होने तकके मध्य की अवस्था है। शारीरिक विकास की दृष्टि से इस परिवर्तन की अनेक अवस्थाएँ है । प्राविकशोरावस्था यौवनारम्भ से पूर्व के दो तीन वर्षकी अवधि है।
अधिकांश परिवारों में तो किशोर को विकास के अवसर ही प्रदान नहीं किए जाते है। कभी-कभी तो किशोर स्वयं ही अपने विकास में बाधक बन जाता है। वह वयस्क के उत्तरदायित्व को वहन करने से घबराता है और इस कारण अपना विकास नहीं चाहता है।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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