लघु सिद्धांत कौमुदी (कौशल किशोर पांडेय) हिन्दी पुस्तक | Laghu Siddhanta Kaumudi (Kaushal Kishore Pandey) Hindi Book PDF

  

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लघु सिद्धांत कौमुदी हिन्दी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Laghu Siddhanta Kaumudi Hindi Book



इस पुस्तक का नाम है : लघु सिद्धांत कौमुदी | इस पुस्तक के लेखक हैं - डॉ. कौशल किशोर पांडेय | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : चौखम्भा संस्कृत संस्थान, वाराणसी | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 182 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 527 पृष्ठ हैं | इस पेज पर आगे "लघु सिद्धांत कौमुदी" पुस्तक का डाउनलोड लिंक दिया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं.

Name of the book is : Laghu Siddhanta Kaumudi. This book is written by : Kaushal Kishore Pandey | The book is published by : Chaukhambha Sanskrit Sansthan, Varanasi. Approximate size of the PDF file of this book is 182 MB. This book has a total of 527 pages. The download link of the book "Laghu Siddhanta Kaumudi" has been given further on this page from where you can download it for free.


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डॉ. कौशल किशोर पांडेय धार्मिक182 MB527


पुस्तक से : 

प्राचीन कालसे लेकर आधुनिक कालतक भारतीय मनीषियोंके सद्विचारसे ओत-प्रोत होने के कारण संस्कृत वाङ्मयका महत्त्व लोकोत्तर होता गया है। देशकी सम्पूर्ण संस्कृति सारा इतिहास तथा सम्पूर्ण ज्ञान विज्ञान संस्कृतमें ही निहित है।

 

निष्पक्षभावसे यदि विचार किया जाय तो उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यो को राष्ट्रभाषा हिन्दी होनेसे जितनी कठिनाई होती है उतनी संस्कृतसे नहीं। इन राज्य की भाषाओंमें संस्कृत के अस्सी प्रतिशत शब्दका प्रयोग मिलता है।

 

भारतवासियों के मनमें एक प्रकारका भाव उत्पन्न हो गया है कि संस्कृतका अध्ययन कर तथा संस्कृतको राष्ट्रभाषा बनाकर भारतकी शासन व्यवस्था को नहीं चलाई जा सकती। यही कारण है कि अंग्रेजी और उर्दूको भारत की राष्ट्रभाषा घोषित किया गया।

 

पाणिनिके काल निर्णय में विवाद है। कोई इन्हें बुद्ध के बाद मानते है तो कोई यवन के। इसका कारण यह है कि पाणिनिने अष्टाध्यायीमें श्रवण, यवन दोनों शब्दोंका प्रयोग किया है। इस समस्या का समुचित समाधान युधिष्ठिर मीमांसक जी ने व्याकरण शास्त्रका इतिहास में विक्रम से लगभग २८०० वर्ष प्राचीन सिद्ध किया है। गणतन्त्र महोदधिके निम्न व्युत्पत्ति से ज्ञात होता है कि पाणिनि का जन्म शालातुरीय नामक गाँव में हुआ था।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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