महाकाल संहिता हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Mahakal Samhita Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : महाकाल संहिता | इस पुस्तक के लेखक हैं : डॉ. किशोर नाथ झा | पुस्तक का प्रकाशन किया है : गंगानाथ झा संस्कृत विद्यापीठ, प्रयागराज | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 100 MB हैं | पुस्तक में कुल 528 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Mahakal Samhita. This book is written by : Dr Kishor Nath Jha. The book is published by : Ganganath Jha Sanskrit Vidyapeeth, Prayagraj. Approximate size of the PDF file of this book is 100 MB. This book has a total of 528 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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डॉ. किशोर नाथ झा | भक्ति,धर्म | 100 MB | 528 |
पुस्तक से :
दीक्षा के बाद शाक्ताभिषेक तथा पूर्णाभिषेक सर्वत्र प्रसिद्ध है। इसमें मन्त्रकी प्रधानता है। पूर्णाभिषेक तथा क्रमदीक्षाभिषेक आदि गम्भीर रहस्यपूर्ण व्यापार है। शाक्ताभिषेक के बाद शक्तिका मार्ग खुल जाता है। इसके बाद पूर्णाभिषेक का अनुष्ठान प्रारम्भ होता है। प्राचीन भारतीय शाक्त साधकोंमें दश महाविद्याओंका क्रम अधिक प्रचलित है और इसका महत्त्व भी है। दश महाविद्याओं में प्रथम तीन विद्याएँ विशक्ति नामसे परिचित हैं।
मुख से दूर तक जिह्वा बाहर निकली हुई है। इसीलिए भयानक लगती है। मुख खुला है, अतः उनके बत्तीस दाँत भी दीखते हैं। स्कन्ध पर नरमुण्ड लम्बित हैं तथा उन मुण्डोंसे रक्तधारा प्रवाहित हो रही है। देवी उस धारा का पान करती है, सृवकद्वय से रक्त धारा प्रवाहित होकर स्तनके ऊपर से जाती है।
वाम में माया बीज, दक्षिणमें क्रोध बीज तथा निम्न में पाशवीज लिखना होगा। कन्दपबीज बीचमें रहेगा। सबों के बीचमें देवी का स्थान होगा। भूतशुद्धि, मातृकान्यास और पीठन्यास को गुह्यकाली अथवा दक्षिणकाली की पूजाके अनुरूप करके सामान्य तथा विशेष अर्ध्य की स्थापना करनी चाहिए।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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