मातृका विलास संस्कृत पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Matrika Vilas Sanskrit Book
इस पुस्तक का नाम है : मातृका विलास | इस पुस्तक के लेखक हैं : पंडित वंशीधर । पुस्तक का प्रकाशन किया है : श्री वेंकटेश्वर प्रेस | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 200 MB हैं | पुस्तक में कुल 242 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Matrika Vilas. This book is written by : Pandit Vanshidhar. The book is published by : Shri Venkateshwar Press. Approximate size of the PDF file of this book is 200 MB. This book has a total of 242 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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पंडित वंशीधर | भक्ति,धर्म | 200 MB | 242 |
पुस्तक से :
स एव ब्रह्मात्मको रखो जगदुपा दानं विन्दुतादात्म्येन संगतोऽपि प्राणिनां मूलाधारे व्यज्यत इत्युक्तम् । स तु सर्वत्र संस्यूतो जाते भूतांकुरे पुनः। आषि र्भवति देहेषु प्राणिनामर्थविस्तृते ॥ इति देहेष्विति मूलाधारे प्रदे शस्तस्यानुस्यूतस्य रवस्य संस्कृतपवनवलेनाभिव्यक्तिराविर्भा वस्तत्र हि पवनोत्पत्तिरुक्ता देहेऽपि मूलाधारेऽस्मिन्समुद्यति समीरणः इति ।
जीवसंज्ञोन्तरात्मान्यः सहजः सर्वदेहिनाम् | येन वेदयते सर्व सुखं दुःखं च कर्मसु ॥ तावुभौ भू तसंपृक्तौ महाक्षेत्रज्ञ एव च ॥ उच्चावचेषु भूतेषु स्थितं संव्याप्य तिष्ठति ॥ इति संव्याप्येति परमात्मानमाहुः । तथा च व्यासः द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च ॥ क्षरः सर्वाणि भूतानि कू टस्थोक्षर उच्यते ॥
बहुवक्तव्यश्चायमर्थ उपदेशमंतरेण शास्त्रै दुरधिगमत्वात्फलातिशयवत्त्वाच्चेति । अयमेवार्थः श्रीभग वता पाणिनिनापि शिक्षायां भंग्यंतरेण स्फुटीकृतः अथ शिक्षां प्रवक्ष्यामि इत्यादिना शिक्षाप्रयोजनं सम्यग्वर्णोच्चारणं तच्च व्याकरणेनैव सिद्धं किमनयेति | सत्यम् |
अथ वर्णसंख्याप रिज्ञानोत्तरज्ञानं चिंत्यते । क एषामुच्चरयिता कथं चोच्चार यति केन क्रमेण चेत्याह । आत्मा बुद्धया समर्थ्यार्थान्मनो युंक्ते विवक्षया | मनः कायाग्रिमाहंति स प्रेरयति मारुतम् ॥ मारुतस्तूरसि चरन्मन्द्रं जनयति स्वरम् । प्रातःसवनयोगन्तं छं दोगायत्रमाश्रितम् ॥
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
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