पदार्थ विज्ञान हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Padarth Vigyan Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : पदार्थ विज्ञान | इस पुस्तक के लेखक हैं : जिनेन्द्र वर्णी | पुस्तक का प्रकाशन किया है : श्री जिनेन्द्रवर्णी ग्रंथमाला, पानीपत | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 11 MB हैं | पुस्तक में कुल 278 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Padarth Vigyan. This book is written by : Jinendra Varni. The book is published by : Shri Jinendra Varni Granthamala, Panipat. Approximate size of the PDF file of this book is 11 MB. This book has a total of 278 pages.
पुस्तक के लेखक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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जिनेन्द्र वर्णी | विज्ञान | 11 MB | 278 |
पुस्तक से :
स्थूल दृष्टि से देखने पर हमे कुछ पदार्थ परिवर्तनशील दिखाई देते हैं, परन्तु कुछ पदार्थ बदलते हुए दिखाई नहीं देते जैसे कि पाषाण या धातुकी यह प्रतिमा । परन्तु सूक्ष्मदृष्टि से देखने पर वास्तवमे ऐसा नही है । प्रत्येक पदार्थ ही बदल रहा है। यह बात अवश्य है कि कोई पदार्थ अल्प समयमे बदल जाता है और कोई अधिक समयमे । अल्प समय मे बदलनेवाले पदार्थों का परिवर्तन स्थूलदृष्टि मे आ जाता है, जबकि अधिक समयमे बदलनेवाले पकड़ मे नही आता।
जैसे 'गुण' पदार्थ से पृथक् कोई स्वतन्त्र वस्तु नही है, इसी प्रकार गुणो से पृथक् पदार्थ भी कोई स्वतन्त्र वस्तु नही है । कल्पना करो यदि आम का पीलापना, नरमपना तथा उसका खट्टा मीठा स्वाद व गन्ध आदि निकालकर पृथक् कर दिये जायें तो आम नाम की कौन वस्तु शेष रह जायेगी ?
आम का कच्चे से पक्का होना, इसमे कच्चेपन का विनाश हुआ और पक्केपन की उत्पत्ति हुई। इसी प्रकार आपका बालक से वृद्ध होना । इसमे बालकपन का नाश हुआ और वृद्धपने की उत्पत्ति हुई अर्थात पुरानी अवस्था का विनाश हुआ और नयी अवस्था की उत्पत्ति हुई।
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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