पाश्चात्य राजनीतिक चिन्तन का इतिहास हिन्दी पुस्तक | Pashchatya Rajnitik Chintan Ka Itihas Hindi Book PDF

                                        

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पाश्चात्य राजनीतिक चिन्तन का इतिहास हिंदी पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Pashchatya Rajnitik Chintan Ka Itihas Hindi Book

इस पुस्तक का नाम है : पाश्चात्य राजनीतिक चिन्तन का इतिहास | इस पुस्तक के लेखक हैं : डॉ. जी.डी. तिवारी | पुस्तक का प्रकाशन किया है : मीनाक्षी प्रकाशन, मेरठ | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 58 MB हैं | पुस्तक में कुल 684 पृष्ठ हैं |


Name of the book is : Pashchatya Rajnitik Chintan Ka Itihas. This book is written by : Dr. G.D Tiwari. The book is published by : Meenakshi Prakashan, Meerut. Approximate size of the PDF file of this book is 58 MB. This book has a total of 684 pages.

पुस्तक के लेखकपुस्तक की श्रेणीपुस्तक का साइजकुल पृष्ठ
डॉ. जी.डी. तिवारीइतिहास,राजनीति58 MB684



पुस्तक से : 

यहाँ पर हम इतना ही मान लेना आवश्यक समझते हैं कि संसार के भिन्न-भिन्न भागों में जैसे-जैसे सभ्यताओं का विकास होता गया, वैसे वैसे ही किसी न किसी रूप में सामाजिक संगठनों की समस्याओं को हल करने के सम्बन्ध में चिन्तन होता गया और जब सामाजिक संगठनों का स्वरूप राजनीतिक संगठनों के रूप में परिवर्तित होता गया, तो धीरे धीरे राजनीतिक चिन्तन भी विकसित होता चला गया ।

 

पड़ौसी जन-समूहों के मध्य संघर्ष तथा प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति सदा बनी रहती थी। राजनीतिक दृष्टि से ही विभिन्न जन-समूह एक-दूसरे से स्वतन्त्र राजनीतिक अस्तित्व रखते थे, जिन्हें नगर-राज्यों के नाम से जाना जाता था । पूर्व के देशों की भांति ग्रीस एक विशाल साम्राज्यके रूपमें विकसित नहीं हो पाया। 

 

 

ग्रीकों को उनकी विवेक बुद्धि ने कड़वे सत्य को भी स्वीकार करने की प्रेरणा दी थी। अतः उन्होंने इससे बचने का प्रयत्न नहीं किया । इस तथ्य का सबसे बड़ा प्रमाण सुकरात को बताया जा सकता है जिसे पारम्परिक मूल्यों में अन्तर्निहित मूर्खताका भण्डा फोड़ने में कभी भी कोई संकोच नहीं हुआ ।

 (नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)


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