प्राचीन वृहद साबर तंत्र शास्त्र पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी | More details about Prachin Brihad Shabar Tantra Shastra Hindi Book
इस पुस्तक का नाम है : प्राचीन वृहद साबर तंत्र शास्त्र | इस पुस्तक के लेखक/संपादक हैं - ब्रजरत्न भट्टाचार्य | इस पुस्तक के प्रकाशक हैं : गंगाविष्णु श्रीकृष्णदास छापाखाना | इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल का कुल आकार लगभग 4 MB हैं | इस पुस्तक में कुल 71 पृष्ठ हैं |
Name of the book is : Prachin Brihad Shabar Tantra Shastra. This book is written/edited by : Vrajratna Bhattacharya | The book is published by : Gangavishnu Shrikrishnadas Chhapakhana. Approximate size of the PDF file of this book is 4 MB. This book has a total of 71 pages.
पुस्तक के संपादक | पुस्तक की श्रेणी | पुस्तक का साइज | कुल पृष्ठ |
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ब्रजरत्न भट्टाचार्य | मंत्र-तंत्र, धर्म, साधना | 4 MB | 71 |
पुस्तक से :
प्रिय सुहृदूर्ग ! वर्त्तमान समय में अनेक प्रकार के तन्त्रशास्त्र सम्बन्धी विज्ञापन जिधर तिघर देखने में आते हैं, परन्तु वास्तव में वे सब ग्रन्थ वैद्यक के सिद्ध होते हैं। यथार्थ तन्त्र उसीको कह सकते हैं जिससे उभयंत्र साधुवादकी प्राप्ति हो। जब भगवान् भूतनाथने समस्त सिद्ध मन्त्रोंको कील दिया था उस समय केवल साबर मन्त्रही कीले जाने से मुक्त रहे थे।
ॐ अस्य श्रीवामदेवमन्त्रस्य संमोहनऋषिः । गायत्री छन्दः श्रीकामदेवदेवता अमुकवायार्थे जपे विनियोगः। अथ न्यासः- कां हृदयाय नमः। कीं शिरसे स्वाहा। कूं शिखायै वौषट् । कामदेवो देवो देवता अस्त्राय फट्॥
साबर मंत्रोंके अतिरिक्त अन्य मन्त्रों का कलियुगमें सिद्ध होना दुस्तर ही नहीं, वरन असम्भव है, परन्तु साबर मंत्र तत्काल अपनी सिद्धिका परिचय देते हैं । इन मन्त्रोंका जप करके सिद्ध करनेकी विशेष आवश्यकता नहीं, लिखा है कि- अनमिल अक्षर अथ न जापू। प्रकट प्रभाव महेश प्रतापू ॥
भगवन् मम प्राणेश सर्वलोकशिवंकर । बृहत्सावरतन्त्राणि वक्तुमर्हस्यशेषतः ॥ वक्षाम्यहं सावराण मन्त्रतन्त्राणि पार्वति । सर्वकामप्रसाधीन शृणुष्वावहिता प्रिये ॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय त्रिलोचनायत्रिपु रवाहनाय अर्मुकं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ॥
(नोट : उपरोक्त टेक्स्ट मशीनी टाइपिंग है, इसमें त्रुटियां संभव हैं, अतः इसे पुस्तक का हिस्सा न माना जाये.)
डाउनलोड लिंक :
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